महाभियोग (Impeachment) किसे कहते हैं

महाभियोग (Impeachment) से सम्बन्धित जानकारी 

महाभियोग एक न्यायिककल्प प्रक्रिया होती है, इस प्रक्रिया का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब  संसद में कुछ विशेष पदों पर आसीन  व्यक्ति के संविधान का उल्लंघन करते है, तो उन व्यक्तियों पर आरोप  लगाए जाने पर इस प्रकिया को चलाया जाता है। इन पदों में राष्ट्रपति, सुप्रीमकोर्टहाईकोर्ट के न्यायाधीश आदि शामिल होते हैं। यदि आप महाभियोग के विषय में जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर आपको महाभियोग (Impeachment) किसे कहते हैं, प्रक्रिया की नियम की जानकारी प्रदान की जा रही है |

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महाभियोग (Impeachment) किसे कहते हैं

महाभियोग एक प्रकार की संवैधानिक कानूनी प्रक्रिया होती है लेकिन यह ऐसी प्रक्रिया होती है, जो केवल राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को हटाने के लिए की जाती है | इसका प्रयोग संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 के तहत  किया जाता है | महाभियोग प्रस्ताव  तब किसी अध्यक्ष पर  लाने की संभावना होती हैं जब वह विधायक  संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अक्षमता करता है और ये सभी चीजें उसकी साबित हो जाती है, तो उस पर महाभियोग की प्रक्रिया चला दी जाती है |

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महाभियोग का प्रस्ताव के तैयार होने की प्रक्रिया

  1. जिस पदाधिकारी के खिलाफ कदाचार यानी संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया दिया जाता है | वह इस प्रक्रिया में शामिल हो जाता है|
  2. इसके अतिरिक्त उस पदाधिकारी के खिलाफ संकल्प वाले प्रस्ताव में कम से कम उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर किये जाने जरूरी होते हैं क्योंकि जब तक इसमें उन सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं होंगे तब तक यह महाभियोग नहीं चालाया जाता  है |
  3. वहीं संकल्प पारित करने के लिए उस सदन की कुल सदस्य संख्या के दो तिहाई बहुमत प्राप्त होना जरूरी होता है क्योंकि, इस बहुमत से संकल्प पारितकिया जा सकता है |

महाभियोग प्रस्ताव की सदन में जाने की प्रक्रिया

संविधान के उल्लंघन के आरोप वाले संकल्प की प्रक्रिया पारित हो जाने के बाद वह सदन दूसरे सदन में  जांच करने के लिए भेज देगा | अर्थात यदि लोकसभा में आरोप लगता है, तो राज्यसभा में और अगर राज्यसभा में आरोप लगता है, तो वह लोकसभा में  भेज देता है |

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दूसरे सदन की प्रतिक्रिया

यदि पहले सदन में  पदाधिकारी पर आरोप साबित हो जाता है, तो  दूसरा सदन भी अपने यहां अन्वेषण  करता है या फिर कराता है और यदि इस दूसरे सदन  में की जाने वाली प्रकिया में  साबित हो जाता है कि, संविधान का उल्लंघन किया गया है, और उसे दूसरे सदन द्वारा भी कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित  किया गया है तो इसके बाद वह संकल्प के पारित होने की तिथि से  पदाधिकारी अपने पद  से निरस्त कर दिया जाएगा, अर्थात उसके पद से उसे बाहर कर दिया जाता है |

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पदाधिकारी को पक्ष रखने का अधिकार

पदाधिकारी पर साबित हुए आरोपों  की जांच के दौरान उस पदाधिकारी को भी उपस्थित होना आवश्यक होता है और साथ में वह अपना पक्ष  पेश कर सकता है लेकिन उसे उसके पद से नकालने का फैसला सदन के द्वारा किया जाता है |

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नियम की जानकारी

  1. महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है और उललंघन करने वाले किसी भी पदाधिकारी पर लगाया जा सकता है |
  2. इसके अलावा महाभियोग लोकसभा में पेश करने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर मौजूद होने चाहिए और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के  हस्ताक्षर होने अनिवार्य होते है |
  3. इसके बाद सदन के स्पीकर या अध्यक्ष  द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार कर लेने के बाद  तीन सदस्यों की एक समिति का निर्माण किया जाता है और फिर साबित हुए आरोपों की जांच कराई जाती है |यदि वह इससे सहमत नहीं है तो वे इसे ख़ारिज भी कर सकते हैं |
  4. आरोपों की जांच करने के लिए  एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस और एक व्यक्ति को  स्पीकर या अध्यक्ष द्वारा शामिल किया जाता है |

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यहाँ पर हमने आपको महाभियोग के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है | इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है| यदि आप और भी इस तरह की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे पोर्टल kaiseinhindi.com पर विजिट कर सकते है |

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