हमारे समाज में मानव को दिए गए अधिकारों में मान, सम्मान और यश को भी अधिकार माना जाता है । जहां पर एक तरफ भारतीय अधिनियम में अनुच्छेद 19 के तहत वाक्य स्वतंत्रता दिया गया है, वहीं पर कुछ और निर्बंधन भी लगाए जा चुके है । व्यक्ति और राज्य की मानहानि करने से रोकने वाला हमें निर्बंधन ही है |भारत में मानहानि के मामले पिछले कुछ सालों से तेजी से बढ़ रहे हैं । मानहानि के मामले राजनीतिक नेता एक दूसरे के खिलाफ निराधार कारणों पर दर्ज कर रहे हैं, जिसके पश्चात सामने वाला पक्ष मानहानि का मामला दर्ज करवाता है । यदि कई जान-बूझकर नकली बयान या तो लिखित या मौखिक, जिससे किसी व्यक्ति के सम्मान, या आत्मविश्वास को ठेस पहुँचता है, या किसी व्यक्ति के विरुद्ध अस्वीकार, शत्रुतापूर्ण, या असहनीय राय या भावनाओं को ठेस पहुँचता है ।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्या है
मानहानि क्या है
मान सम्मान और ख्याति को पहुंचने वाले क्षति को मानहानि कहा जाता है। मानहानि से व्यक्तियों को बचाने के लिए प्रावधान भारतीय प्रणाली में अधिकार देकर किए गए हैं । हमारे यहाँ भारतीय दंड अधिनियम की धारा 499 से 502 तक मानहानि के कानून के विषय में प्रावधान किया जाता है ।
भारतीय दंड अधिनियम 1860 की धारा 499 मानहानि की परिभाषा इस प्रकार है –
अहशयित शब्दों से या संकेतों से या चित्रों से बोले जाने या पढ़े जाने पर किसी व्यक्ति के विषय में लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे व्यक्ति की यश की अपहानि ऐसे लांछन से की जाए, या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता कि ऐसे व्यक्ति की ख्याति की ऐसे लांछन से अपहानि होगी, सिवाय लांछन के तो, वह व्यक्ति मानहानि करता है । हमारे यहाँ भारतीय दंड अधिनियम की इस धारा से मानहानि के वास्तविकता का पता चलता है । इस धारा में कुछ लांछनों का भी वर्णन है । धारा 499 के तहत कुछ लांछन भी माने गए है उन लांछनों की संख्या 10 है ।
मानहानि की वास्तविकता –
अपमानजनक कथन या टिप्पणी का होना चाहिए –
कथनों या टिप्पणी का आपत्तिजनक होना आवश्यक है । यह न्यायालय के माध्यम से साक्ष्य (साबुत) और समस्याओं के तहत निर्धारित किया जाता है कि क्या आपत्तिजनक है ।भारतीय मानहानि प्रणाली में ऐतिहासिक केश दूलकाल्हा का केश है। स्वतंत्रता के समय का यह प्रकरण है, जिसमे एक विधवा औरत पर उसके भतीजे ने निकृष्ट आचरण का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस औरत के घर से रात दो बजे के उपरांत एक पुरुष बाहर निकला था और ज़रूर ही वह पुरुष इससे संभोग करने गया होगा ।
ऐसे परिस्थिति में केश को बिरादरी की पंचायत में ले जाया जाता है , जहां पर औरत को निर्दोष करार कर दिया जाता है । पंचायत के बाद में औरत द्वारा मानहानि हेतु आरोप लगाने वाले व्यक्ति के पर केश दर्ज करवाया लेकिन न्यायालय द्वारा केश को रद्द कर दिया जाता है,और यह माना जाता है कि बिरादरी की पंचायत औरत को निर्दोष करार दे चुकी है, इसीलिए औरत को सम्मान में कोई क्षति नहीं पहुँचती है तथा उस अभियुक्त को निर्दोष माना जाता है ।
किसी व्यक्ति को अपमानित करने का आशय (intention) होना आवश्यक है मानहानि के तहत अपराधी मानने के लिए आशय (intention) का नितांत आवश्यक है । किसी भी कार्य या अभाव के माध्यम से यह आशय होना चाहिए की व्यक्ति को अपमानित किया जायेगा । अपमानजनक टिप्पणी या बयान करना अभियोगी को उद्देश्य के अनुसार बोलना चाहिए । पूर्ववर्ती शर्त बयान या टिप्पणी का प्रकाशित होना है, ऐसे स्थिति में अभियोगी के माध्यम से किसी और व्यक्ति को भी सूचित होना चाहिए |
यह शर्त महत्वपूर्ण है इसमें टिप्पणी का प्रकाशित होना अत्यंत आवश्यक है । जैसे यदि हमने किसी व्यक्ति को कहा की आप ने उनको मारा है और हमे कहते हुए उस व्यक्ति के अलावा कोई अन्य व्यक्ति द्वारा न सुना गया हो या अन्य किसी और को इस कथन की संसूचना न हुई तो मानहानि नहीं मानी जाती है ।
मरने वाले व्यक्ति की भी मानहानि हो सकती है
धारा के स्पष्टीकरण में बताया गया है कि मरने वाले व्यक्ति को भी मानहानि का योग्य माना जाता है । मरने वाले व्यक्ति के नजदीकी रिस्तेदार इसके प्रतिकर के लिए भी मुकदमा कर सकते है । ऐसी टिप्पणी या शब्दो द्वारा से मरने वाले व्यक्ति के मान सम्मान और ख्याति को हानि पहुंचाने का आशय हो तो मानहानि मानी जाती है ।
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संविधान किसे कहते है, लिखित संविधान का क्या अर्थ है ?
राज्य के विरुद्ध मानहानि-राज्य के खिलाफ मानहानि भारतीय दंड अधिनियम की धारा 124 A में निहित है कि राज्य के विरुद्ध मानहानि-राज्य के खिलाफ मानहानि है जिसको देशद्रोह (Sedition) मान जाता है। किसी समाज के विरुद्ध मानहानि भारतीय दंड अधिनियम की धारा 153 में निहित है, जिसे उपद्रव (Riot) कहा गया है ।
समूह और लीगल व्यक्ति के अधिकार भी इस धारा के तहत सुरक्षित है
इस धारा के तहत कंपनी और समूह को भी व्यक्ति माना जाता है। इसके अतिरिक्त कोई भी लीगल व्यक्ति की मानहानि हो सकती है ।
- किस माध्यम से मानहानि हो सकती है
- बोले गए शब्दों के माध्यम से
- पढ़ने के लिए आशयित शब्दों के माध्यम से
- संकेतों के माध्यम से
- चित्रों के माध्यम से
इस धारा में 10 अपवाद रखे गए है । इन अपवादों में आने वाले केश मानहानि नहीं माने जाएंगे वह अपवाद निम्न प्रकार हैं-
- सत्य बात का अपवाद माना जाना या प्रकाशित किया जाना जो लोक कल्याण के लिए तिरस्कृत है, मानहानि नहीं है ।
- उसके लोक कार्यों में, लोक सेवक के चरित्र के बारे में या उसके शील के बारे में, जहां तक उसका शील उस चरित्र से प्रत्यक्ष होता न कि उससे आगे, कोई राय, चाहे वह कुछ भी हो, सद्भावपूर्वक अभिव्यक्त करता है मानहानि नहीं है ।
- किसी लोक कल्याण प्रश्न के विषय में किसी व्यक्ति के चरित्र के विषय में, और उस के शील के विषय में, जहां तक उसका चरित्र प्रत्यक्ष होता है न कि उससे आगे कोई राय चाहे वह कुछ भी हो, सदभावपूर्वक अभिव्यक्त करना मानहानि नहीं है ।
- किसी भी न्यायालय की कार्यवाहियों या ऐसी किन्हीं कार्यवाहियों के सही जाँच पत्र को प्रकाशित करना मानहानि नहीं है ।
- न्यायालय (Cort ) में केश की गुणवत्ता या साक्ष्यों (साबुत) तथा अन्य व्यक्तियों का चरित्र को सदभावपूर्वक अभिव्यक्त या प्रकाशित करता है तो मानहानि नहीं है, बशर्ते कि न्यायालय (Cort ) ने केश तय कर लिया हो ।
- किसी ऐसे कार्य जो लोक के गुण-दोष के विषय में जिसको उसके कर्ता ने लोक निर्णय के लिए रखा सदभावपूर्वक अभिव्यक्त या प्रकाशित करता है तो मानहानि नहीं है ।
- किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर प्रणालीपूर्वक प्राधिकार करने वाले व्यक्ति के माध्यम से सदभावपूर्वक की गयी परिनिन्दा मानहानि नहीं है ।
- प्राधिकृत व्यक्ति के सामने सदभावपूर्वक अभियोग लगाना मानहानि नहीं है ।
- अपने लिए या अन्य व्यक्ति के हितों की सुरक्षा हेतु किसी व्यक्ति के माध्यम से सदभावपूर्वक लगाया लांछन मानहानि नहीं है ।
- सावधानी जिस व्यक्ति की हित के लिए, जिसे की वह दी गई है या लोक कल्याण हेतु आशयित हो मानहानि नहीं है ।
- यदि किसी व्यक्ति के माध्यम से दिया गया कथन इन स्थितियों में से किसी एक स्थिति में आता है तो वह आदमी मानहानि नहीं करता है तथा वह इस स्थिति में सुरक्षित है ।
- मानहानि सिविल और आपराधिक दोनों केशों की हो सकती है । जैसे केजरीवाल के केशों में नितिन गडकरी की तरफ से दोनों प्रकार से मानहानि के केश संस्थित किये गए थे । एक प्रकरण धारा 500 भारतीय दंड अधिनियम और दूसरा दीवानी वाद था । दीवानी प्रकरण प्रतिकरउपलब्ध कराये जाने के लिए किया गया था ।
मानहानि के लिए दंड की अवधि
भारतीय दंड अधिनियम की धारा 500 के तहत मानहानि के लिए 2 साल तक का साधारण कारावास और जुर्माना का भी प्रावधान बनाया गया है । यह असंज्ञेय और जमानतीय दोष है। साधारण परिवाद माध्यम से आपराधिक केशों को दर्ज किए जाने के लिए मजिस्ट्रेट को संज्ञान दिया जाता है ।
जानिये क्या है भारत के नागरिक के मौलिक अधिकार !
इस लेख में हमने आप को मानहानि के संबंध में भारतीय कानून के नियम और मानहानि क्या है इसके विषय में विस्तार से जानकारी दी है अगर आप के मन में इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न हैं तो कमेंट के द्वारा पूछ सकते हैं हम आप के द्वारा की प्रतक्रिया का आदर करेगें |