विपश्यना (Vipassana) का क्या मतलब है

 विपश्यना साधना कैसे करें (Vipassana Kaise Kare) 

वर्तमान युग में समय बहुत ही तीव्र गति से परिवर्तित हो रहा है। इस अति व्यस्त जीवनशैली में शारीरिक-मानसिक थकान स्वाभाविक है, लोग इससे बचनें के लिए अनेक उपाय करते है| आपको बता दें, कि शारीरिक-मानसिक थकान से बचने में ध्यान बहुत ही मददगार होता है। हमारे देश में ध्यान करनें की विभिन्न पद्धतियां है, जिसके लोग अपनी इच्छानुसार करते है| ध्यान करनें के लिए विपश्यना एक ऐसी ही प्रमुख क्रिया है, जो तन-मन को पूर्ण रूप से लाभ पहुंचाती है। यदि हम अपने अन्दर छिपी नकारात्मक बातों को बाहर निकालना चाहते हैं, तो सबसे आवश्यक है कि हम अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करें। अब सवाल यह उठता है कि इसका सही तरीका क्या होना चाहिए ? इसके लिए प्राचीनकाल से ही योगियों द्वारा विपश्यना की विधि अपनाई जाती रही है। विपश्यना (Vipassana) का क्या मतलब है, विपश्यना साधना कैसे करें? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है|

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 विपश्यना का क्या मतलब है (Vipassana kya Hai)

विपश्यना का अर्थ विशेष प्रकार से देखना (वि पश्य ना) है । पालि भाषा में इसे विपासना कहते हैं। यह जीवन जीने की एक खूबसूरत कला है। भगवान बुद्ध ने ध्यान की ‘विपश्यना-साधना’ द्वारा बुद्धत्व प्राप्त किया था। विपश्यना वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है।

विपश्यना साधना का मुख्य लक्ष्य चित्त की शुद्धि करना है| विपश्यना के माध्यम से कोई भी साधना करनें वाले व्यक्ति में राग , द्वेष , भय , मोह , लालच आदि विकारों , दैनिक जीवन के तनावों और मानसिक बंधनों से मुक्ति प्राप्त कर लेता जाता है। वह जीवन में आने वाली समस्याओं का सफलतापूर्वक समाधान खोजने में समर्थ होता है। कठिन परिस्थितियों में अविचलित रह कर उनका सामना करने की क्षमता उसमें आ जाती है। जब हम किसी वस्तु अथवा परिस्थितियों को टुकड़ों में बांटकर उसे साक्षी भाव से देखते हैं , तब पता चलता है कि जो वस्तु अथवा स्थिति जैसी दिखती है , वास्तव में वैसी होती नहीं है। ऊपरी तौर पर प्रतीत होने वाला उसका स्वरूप आभासी सत्य जैसा है। इसका पता चलते ही साधक आभासी सत्य के कारण पैदा होने वाली उत्तेजनाओं और आशंकाओं से पीडि़त नहीं होता, जिससे काया, वाणी तथा चित्त के कर्म सुधरने लगते हैं। जैसे-जैसे इन कर्मों में सुधार आने लगता है, वैसे-वैसे साधक मानसिक तनावों से मुक्त होने लगता है और अपने अंत:स्थल में शांति का अनुभव करने लगता है।

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विपश्यना साधना कैसे करें (How To Do Vipassana)

विपश्यना साधना सीखने के लिए किसी प्रशिक्षित विपश्यना शिक्षक की देखरेख में 10 दिवसीय शिविर में शामिल होना पड़ता है। शिविर में प्रशिक्षण के दौरान दौरान लिखना-पढ़ना, आपस में बात करना सख्त मना होता है। विपश्यना साधना सीखने वाला व्यक्ति सिर्फ मार्गदर्शक और व्यवस्थापकों से वार्तालाभ कर सकते हैं, क्योंकि मौन रखने से मन की उत्तेजना कम हो जाती है और ध्यान आसानी से लग जाता है।

विपश्यना के तीन चरण होते हैं। पहले चरण में साधक को त्रिशरण व पंचशील का पालन करना पड़ता है। जीव हिंसा और चोरी से विरत रहना , व्यभिचार से दूर रहना , असत्य बोलने और मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करना होता है। इन नियमों का पालन इसलिए आवश्यक समझा गया है , क्योंकि ऐसा करने से मन की उत्तेजना कम हो जाती है। उत्तेजना रहित मन से साधना का अभ्यास बेहतर ढंग से किया जा सकता है। यदि नियम भंग करते हैं तो विकारों के अभिभूत होकर मन उत्तेजित हो उठता है और अंत:करण की गहराइयों तक पहुंचना संभव नहीं होता है।

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दूसरे चरण में साधक को मन को एकाग्र करना सिखाया जाता है, जिसे इसे आनापान कहते हैं। आनापान मूलत: दो शब्दों आन और अपान की संधि से बना है। आन अर्थात् आने वाला श्वास , अपान अर्थात् जाने वाला श्वास। श्वास के आने-जाने को अपने ही अनुभव से नासिका के दोनों द्वारों पर देखना सिखाया जाता है। साधक पालथी मार कर आंखें बंद कर अपने मन को अपनी नासिका के दोनों द्वारों पर केंद्रित करके, आने-जाने वाली हरेक सांस को देखना सीखता है। इससे चंचल मन स्थिर और स्थूल मन सूक्ष्म हो जाता है। श्वास देखते-देखते मन का सही स्वभाव पता चलने लगता है कि यह मन कितना चंचल है। मन या तो भूतकाल की पुरानी बातों में या फिर भविष्य की कल्पनाओं में गोता लगाता है। विश्लेषण करने पर पता चलता है कि जब कोई सुखद बात याद आती है , तो मन पुलकित होकर उसके प्रति राग जगाता है और अगर यादें दुखद हैं , तो उनके प्रति द्वेष जगाता है। आनापान से मन की एकाग्रता और याददाश्त बढ़ती है।

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तीसरे चरण में साधक को विपश्यना दी जाती है, जिससे प्रज्ञा जागृत होती है और अनित्य का बोध होने लगता है। शरीर के अन्दर  क्षण-प्रतिक्षण उत्पन्न तथा परिवर्तित होने वाली संवेदनाओं को दृष्टा भाव से देखना सिखाया जाता है। साधक को देखते-देखते अपने अन्दर होने वाली वेदनाओं-संवेदनाओं का वास्तविक स्वभाव समझ में आने लगता है। साधक अपने प्रत्यक्ष अनुभव से जान लेता है कि कोई भी वेदना चाहे दुखद हो या सुखद , हर पल बदलती रहती है। हम चाहें भी तो उसका बदलना रोक नहीं सकते। बार-बार विपश्यना करने से अनित्य का बोध निरंतर बना रहता है| जिसके फलस्वरूप मन वीतरागता, वीतद्वेषता और वीतमोहता की ओर अग्रसर होने लगता है। जैसे-जैसे राग , द्वेष और मोह के बंधन ढीले पड़ने लगते हैं , वैसे-वैसे पहले से संचित विकार समाप्त होने लगते हैं और मन में अपूर्व शांति का संचार होने लगता है। इस तरह काया और चित्त के अनित्य स्वभाव का साक्षी भाव से दर्शन करते करते तमाम आसक्तियों से छुटकारा पाता हुआ साधक शरीर और चित्त के परे इंद्रियातीत परम सत्य का साक्षात्कार कर लेता है।

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विपश्यना के लिए स्थान (Place Of Vipassana)

विपश्यना बेहद सरल क्रिया है| विपश्यना के साथ सबसे सुविधाजनक बात यह है, कि आप इसे कहीं भी कर सकते हैं। आपके आसपास बैठे लोगों को भी इस बात का भान नहीं होगा कि आप क्या कर रहे हैं? बस-ट्रेन में यात्रा करते समय या अपने घर में बिस्तर पर लेटे हुए आप इसे कहीं भी बडी सुगमता से कर सकते हैं। इससे आपके आसपास के लोगों को भी कोई असुविधा नहीं होगी क्योंकि न तो इसमें किसी मंत्र के उच्चारण की जरूरत है और न बार-बार शारीरिक मुद्रा बदलनी है। यह प्रक्रिया बाहर से देखने में जितनी सरल है, इसमें उतनी ही अधिक गहराई है, जिसे अपनाने के बाद ही महसूस किया जा सकता है। गौतम बुद्ध द्वारा बताई गई साधना की इस क्रिया को एक बार अपने जीवन में उतार कर देखें, निश्चित रूप से आपको अपने भीतर सकारात्मक बदलाव महसूस होगा।

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विपश्यना ध्यान की मुद्रा (Vipassana Meditation Posture)

विपश्यना के लिए घर के सबसे शांत स्थान का इस्तेमाल करें। कमरे की लाइट बंद करके आसन पर पालथी मार कर बैठ जाएं। बैठने के दौरान हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कमर और गर्दन सीधी और आंखें बंद हों। इसके बाद नाक से आने और जाने वाली सांस पर ध्यान केंद्रित करें। कुछ दिनों तक इसी का अभ्यास करते रहें। इसके बाद सांसों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए शरीर में होने वाली संवेदनाओं की अनुभूति करें, यही विपश्यना है। शुरू में इसे कुछ समय तक सुबह-शाम करें, बाद में सुविधा के मुताबिक समय बढ़ा सकते हैं।

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विपश्यना क्यों करें (Why Do Vipassana)

शरीर और आत्मा के बीच श्‍वास ही एक ऐसा सेतु है, जो हमारे विचार और भावों को ही संचालित नहीं करता है बल्कि हमारे शरीर को भी जिंदा बनाए रखता है। श्वास जीवन है। ओशो कहते हैं कि यदि तुम श्वास को ठीक से देखते रहो, तो अनिवार्य रूपेण, अपरिहार्य रूप से, शरीर से तुम भिन्न अपने को जानने लगोगे। जो श्वास को देखेगा, वह श्वास से भिन्न हो गया, और जो श्वास से भिन्न हो गया वह शरीर से तो भिन्न हो ही गया। शरीर से छूटो, श्वास से छूटो, तो शाश्वत का दर्शन होता है। उस दर्शन में ही उड़ान है, ऊंचाई है, उसकी ही गहराई है। बाकी न तो कोई ऊंचाइयां हैं जगत में, न कोई गहराइयां हैं जगत में। बाकी तो व्यर्थ की आपाधापी है।

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विपश्यना से लाभ (Benefit Of Vipassana Meditation)

  • निरंतर विपश्यना का अभ्यास करने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है, रक्त संचार बढ़ने और तनाव मुक्त होने से चेहरे में रौनक आती है।
  • इसके नियमित अभ्यास से में मन शांत होता है तथा आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
  • एकाग्रता बढ़ाने के लिए यह एक बहुत ही शानदार उपायों में से एक है। इसका नियमित अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है और ध्यान लक्ष्य की ओर केंद्रित होता है साथ ही दिमाग का विकास होता है।
  • इसको करने से व्यक्ति तनाव मुक्त हो जाता है।
  • इस ध्यान को करने से सकारात्मक विचार उत्पन्न होते है और नकारात्मक विचार खत्म हो जाते हैं।
  • मन और मस्तिस्क बिलकुल शांत रहता है।
  • मन में हमेशा शां‍ति बनी रहती है।
  • सिद्धियां स्वत: ही सिद्ध हो जाती है।
  • नियमित रूप से करने से देखते-देखते ही आपके सारे रोग दूर हो जाएंगे।
  • शरीर के रोगों के साथ-साथ आपका मन भी शांत हो जाएगा।

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कहाँ सीखे विपश्यना (Vipassana Meditation Centre In India)

विपश्यना केंद्र का पता – विपश्यना इंटरनैशनल अकैडमी, धम्मगिरि, इगतपुरी, जिला नासिक, महाराष्ट्र। सीखने के लिए इगतपुरी जाना जरूरी नहीं है । देश में इसके कई केंद्र हैं www.vridhamma.org विपश्यना के इगतपुरी सेंटर की वेबसाइट है। यहां विपश्यना के बारे में पूरी जानकारी है। होम पेज पर Contact Us पर जाकर सभी ट्रेनिंग सेंटर को ब्यौरा प्राप्त कर सकते हैं। www.dhamma.org पर ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते है । आम तौर पर वेटिंग रहती है, इसलिए एडवांस में बुकिंग कराए।

भारत में करीब 89 केंद्र विपश्यना ध्यान केंद्र है। द्विभाषा में यह कोर्स कराये जाते है, साल भर यह कोर्स कराये जाते है| आज दुनिया में लगभग 170 विपश्यना केंद्र और 130 नॉन-सेंटर हैं। इन सेंटरों पर विपासना के 10, 20, 30, 45 और 60 दिनों के कोर्स करवाए जाते हैं। यह कोर्स नि:शुल्क होते हैं। इन कोर्स में से विपस्सना केंद्रों में अधिकतर 10 दिवसीय आवासीय कोर्स प्रसिद्ध है। यह बेसिक और सबसे कम समय का कोर्स है। इन 10 दिनों में विपासना ध्यान सिखने वाले विद्यार्थी को गंभीरता से काम करना होता है।

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विपश्यना कोर्स के दौरान समय सारिणी (Time Table For Vipassana Courses)

यह कोर्स 10 दिनों का होता है, परन्तु इसमें कुल 12 दिन लगते हैं| जिसमें से दस दिन पूरे और दो दिन अधूरे लगते है । साधक को एक दिन पहले सेंटर पहुँचना होता है, दोपहर बाद 2 से 4 बजे के बीच रजिस्ट्रेशन होता है, मोबाइल जैसी अन्य चीजें जमा हो जाती हैं, और आपके लिए सोने का कमरा निर्धारित हो जाता है। शाम 5 बजे से रात लगभग 9 बजे तक कोर्स के नियम की जानकारी प्रदान की जाती है, साथ में ध्यान कक्ष में सीट अलॉट की जाती है, जिस पर सभी दिन बैठकर ध्यान करना होता है।

कोर्स 11वें दिन सुबह 7:30 बजे खत्म होता है। प्रत्येक सेंटर एक माह में 2 कोर्स कराता है। ध्यान कैसे करना है, इस बारे में निर्देश हिंदी-अंग्रेजी में रेकॉर्डेड ऑडियो टेप के माध्यम से दिए जाते हैं। रोज रात को डेढ़ घंटे गोयनका जी का प्रवचन होता है, जिसमें विशुद्ध धर्म और ध्यान की बारीकियां समझाई जाती हैं।पहले तीन दिन बस यही करना होता है। चौथे दिन विपश्यना सिखाई जाती है और बाकी 7 दिन इसका अभ्यास कराया जाता है। इससे इंसान सुख-दुख में भी संतुलन में रह पाता है। उसकी छोटी-मोटी बीमारियाँ तो ऐसे ही दूर हो जाती हैं।

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विपश्यना का यह कोर्स पूरी तरह मुफ्त है, यहाँ रहने और खाने का भी शुल्क नहीं लिया जाता है । शिविर का समस्त खर्च पुराने साधकों द्वारा दिए गए दान से चलता है। साधको को किसी प्रकार का कोई खर्चा नही दिया जाता, यह साधक अपनी मर्जी से सेवा करते है। शिविर समाप्त होने पर कोई चाहे तो भविष्य के शिविरों के लिए दान दे सकता है, परन्तु दान उसी से लिया जाता है जो पहले से यह कोर्स कर चुका होता है।

यहाँ पर हमनें विपश्यना (Vipassana) ध्यान के विषय में बताया | यदि इस जानकारी से सम्बंधित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है | अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पोर्टल kaiseinhindi.com पर विजिट करते रहे |

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