पार्षद क्या है कैसे बने ?

पार्षद के कार्य व अधिकार

भारत के 74 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत स्थानीय शासन का प्रावधान किया गया है, इसके अंतर्गत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत की व्यवस्था की गयी है, इसका निर्धारण जनसंख्या के आधार पर किया जाता है, स्थानीय शासन के अंतर्गत पार्षद का पद आता है, जिसे उस क्षेत्र की जनता प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा चुनती है, एक पार्षद के रूप में अपने क्षेत्र के लोगों को अच्छी नागरिक सेवा प्रदान करना होता है, तथा जनता की समस्याओं को परिषद् में विचार- विमर्श के लिए पेश करना होता है | इस पेज पर पार्षद का क्या है कैसे बने, योग्यता, कार्य व अधिकार, सैलरी, नियुक्ति प्रक्रिया के विषय में बताया जा रहा है |

ये भी पढ़े: भारत में महिलाओ के अधिकार 

ADVERTISEMENT विज्ञापन

ये भी पढ़े: क्या है देश के राष्ट्पति के अधिकार 

ADVERTISEMENT विज्ञापन

पार्षद क्या है

प्रत्येक शहर को छोटे- छोटे नगर (मोहल्ले) में विभाजित किया जाता है | इसके बाद नगर (मोहल्ले) को वार्ड में विभाजित किया जाता है | प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि को पार्षद कहा जाता है | पार्षद को सीधे उस वार्ड की जनता द्वारा चुना जाता है | पार्षद उस वार्ड से सम्बंधित समस्याओं को नगर पालिका या नगर परिषद् में पेश करता है, जिसके उपरांत परिषद् द्वारा बजट पास करके उस समस्या का समाधान किया जाता है |

ये भी पढ़े: जानिये क्या है भारत के नागरिक के मौलिक अधिकार 

पार्षद कैसे बने ?

राज्य सरकार की सहायता से निर्वाचन आयोग प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में नगर निकाय चुनाव का आयोजन करती है | इस चुनाव में जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान किया जाता है, यदि आप पार्षद बनना चाहते है, तो आपको चुनाव में भाग लेना होगा | यदि आप जनता की इच्छा के अनुरूप सही व्यक्ति हुए तो आप पार्षद बन सकते है |

ADVERTISEMENT विज्ञापन

ये भी पढ़े: प्रधानमंत्री (PM), मुख्यमंत्री (CM), सांसद (MP), विधायक (MLA) का वेतन कितना है

पार्षद बनने हेतु योग्यता (Eligibility)

  • पार्षद पद के लिए प्रत्याशी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष निर्धारित की गयी है
  • पार्षद बनने के लिए लिए राज्य के नियमानुसार दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है | यह योग्यता राज्यों के अनुसार अलग-अलग है
  • दो से अधिक संतान होने पर आप पार्षद का चुनाव नहीं लड़ सकते है  (राज्य के अनुसार अलग-अलग है )
  • एक वार्ड का मतदाता दूसरे वार्ड का चुनाव लड़ सकता है
  • नामांकन के समय प्रत्याशी के साथ दो समर्थक व दो प्रस्तावक संबंधित वार्ड का होना आवश्यक है
  • एक प्रत्याशी को स्वघोषणा पत्र में संपत्ति का विवरण देना आवश्यक है

ये भी पढ़े: क्या है देश के राष्ट्पति के अधिकार 

पार्षद के कार्य व अधिकार

प्रत्येक पार्षद को अपने-अपने वार्डों में पांच-पांच लाख रुपये से विकास कार्य कराने का अधिकार प्रदान किया गया है | पार्षद यह कार्य अवस्थापना निधि से कराएंगे | प्रत्येक वार्ड में बीस-बीस सोडियम और ट्यूब लाइट लगाने संबंधी प्रस्ताव भी पारित किया गया है | सोडियम और ट्यूब लाइट किस स्थान पर लगायी जायेगी यह पार्षद निर्धारित करता है |

पार्षद का वेतन (Salary)

सभी पार्षदों के लिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय और एक हजार रुपये प्रति बैठक भत्ता प्रदान किया जाता है | यह प्रत्येक राज्य में अलग- अलग है |

ये भी पढ़े: केंद्र सरकार (Central Government) क्या है, कैसे बनती है

पार्षद की नियुक्ति प्रक्रिया

निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की सहमति से प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में निकाय चुनाव कराता है, इस चुनाव में पार्षद पद के लिए भी चुनाव कराया जाता है, पार्षद के लिए आप एक निश्चित क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते है, यदि आप जनता द्वारा मतदान के माध्यम से पार्षद पद के लिए चुने जाते है | तब आप इस पद की शपथ ग्रहण करके जनता की समस्याओं को सुलझा सकते है | इसके लिए राज्य द्वारा निर्धारित मानदेय और भत्ता प्रदान किया जाता है |

ये भी पढ़े: लोकसभा में कितनी सीटें हैं ?

ये भी पढ़े: भारत की राष्ट्रभाषा क्या है ?

ये भी पढ़े: लोकपाल और लोकायुक्त क्या होता है 

ये भी पढ़े: भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) की सूची