भारत में महिलाओ के अधिकार 

संविधान द्वारा प्राप्त महिलाओ के अधिकार 

हमारे देश में पुरुषों की भांति महिलाओ को समान अधिकार दिए गये है, परन्तु महिलाओं के साथ आज भी समानता का व्यवहार नहीं किया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण शिक्षा का आभाव है, भारत में महिलाओं के दिन-प्रतिदिन अपराधों की संख्या बढ़ रही हैं, महिलाओं के साथ एसिड अटैक, दहेज हत्या, प्रताड़ना, छेड़छाड़, पीछा करना, या घरेलू हिंसा इत्यादि से परेशान किया जाता है, क्योंकि अधिकांश महिलाओ को अपनें अधिकारो से सम्बंधित जानकारी नहीं है, भारतीय महिलाओ को प्राप्त क़ानूनी अधिकारों के बारें में आपको इस पेज पर बता रहे है |

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किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाने का अधिकार

किसी भी महिला के साथ घटित कोई भी घटना की फर्स्ट इन्फॉरमेशन रिपोर्ट (FIR) किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकती है, इसके लिए चाहे वह घटना उस थाने की सीमा क्षेत्र में हो या फिर न हो, उस थाना प्रभारी को उस घटना की एफआईआर को दर्ज करना अनिवार्य है,  एफआईआर दर्ज करने के बाद उस  एफआईआर को वह सम्बंधित थाने में स्थांतरित करेगा, आपकी एफआईआर को किसी भी थाना प्रभारी के द्वारा मना करने पर आप उस थाना प्रभारी के विरुद्ध उच्च अधिकारी को शिकायत दर्ज करा सकती है या फिर सीधे मुख्यमंत्री या प्रधानमत्रीं कार्यालय को इंटरनेट के माध्यम से भेज सकती है, जिस पर त्वरित कार्यवाही हो सकती है |

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मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार

यदि किसी महिला के साथ बलात्कार की घटना घटित होती है, तो वह इसके लिए मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती है, वह इसकी जानकारी जिम्मेदारी स्टेशन हाउस अधिकारी को देगी, जिसके बाद वह अधिकारी विधिक सेवा प्राधिकरण को इसकी जानकारी देगा उसके बाद उसको जल्द ही अधिवक्ता की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाएगी |

महिलाओं को छेड़ना

आईपीसी की धारा 509 के अंतर्गत किसी भी महिला को किसी भी रूप में जैसे- मौखिक, शारीरिक या सांकेतिक रूप से परेशान करना दंडनीय अपराध है, इस धारा के प्रावधान के अनुसार अपराधी पाए जानें पर तीन साल की सजा और जुर्माना की व्यवस्था की गई है |

बलात्कार

बलात्कार को एक संगीन अपराध के रूप में माना गया है, इसमें आईपीसी की धारा 376 के अंतर्गत नाबालिग लड़की से बलात्कार, आईपीसी की धारा 376ए बलात्कार और हत्या, आईपीसी की धारा 376सी परिवारजन या नौकर द्वारा बलात्कार, आईपीसी की धारा 376सी के अंतर्गत गैंगरेप,  आईपीसी की धारा 376बी के अंतर्गत शादी के बाद बिना मर्जी के सेक्स करना भी बलात्कार माना गया है | इन अपराधों के लिए सजा सात साल से लेकर बीस वर्ष तक या उम्र कैद निर्धारित की गयी है |

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नाम को उजागर न करनें का अधिकार

महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न के बाद उस महिला का नाम कही पर भी नहीं छापा जा सकता है, अपनी गोपनीयता को बनाये रखते हुए, वह महिला किसी महिला पुलिस अधिकारी या जिलाधिकारी की मौजूदगी में अपना बयान दे सकती है |

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रात के समय में गिरफ्तार न होने का अधिकार

इस अधिकार के अंर्तगत किसी महिला को सूर्य अस्त होने के पश्चात और सूर्य निकलनें से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, किसी विशेष मामले में केवल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही यह गिरफ्तारी हो सकती है |

महिला की गरिमा बनाये रखनें का अधिकार

किसी अपराध में संलिप्त होने पर उस महिला की जाँच, तलाशी और चिकित्सा जाँच केवल महिला द्वारा ही की जाएगी या फिर किसी अन्य महिला की उपस्थित में ही की जाएगी |

महिला हेल्पलाइन नंबर

उत्तर प्रदेश की women हेल्पलाइन नंबर 1090 है और दिल्ली महिला आयोग  का वीमेंन हेल्प लाइन नंबर 181 है आप इन नम्बरों को डायल कर के अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है, इन हेल्पलाइन पर तुरंत कार्यवाही की जाती है |

इंटरनेट के माध्यम से साइबर क्राइम

किसी भी महिला को सोशल मिडिया में परेशान करना, उनके साथ  ट्रोल, बुलिंग या एब्युस करना या पोर्नग्राफी इत्यादि की धमकी देना या इस प्रकार के अपराध करना, यह आईटी एक्ट 2000 के अंतर्गत तीन साल की जेल या उम्र कैद और जुर्माना लगानें का प्रावधान है |

यहाँ पर हमनें आपको भारतीय महिलाओ के कानूनी अधिकार के विषय में बताया, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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