अध्यादेश (Ordinance) क्या है

अध्यादेश (Ordinance) से सम्बंधित जानकारी

अध्यादेश एक संवैधानिक प्रक्रिया  है, जिसे केंद्र या राज्य के प्रधान शासक द्वारा किसी विशेष स्थिति से निपटने के लिए जारी किया जाता है | वहीं, विशेष स्थिति का निपटारा करने के लिए 1952 से 2014 के बीच 668 बार अध्यादेश जारी किये जा चुके हैं। इसके साथ ही 1967 से 1981 के बीच बिहार में 256 अध्यादेश जारी  किये जा चुके है, जबकि विधानसभा ने 189 कानून ही बनाने के लिए तय किया। इसके अलावा 18 जनवरी 1986 को बिहार के राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने एक दिन में 58 अध्यादेश जारी करने का कारनामा कर दिखाया था| इस अध्यादेश को जारी करने के बाद कई अहम फैसलों पर मुहर लगाई जाती है, जिन्हे कोई भी नहीं  बदल सकता है | इसलिए यदि आप भी अध्यादेश के विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ अपर आपको अध्यादेश (Ordinance) क्या है, अध्यादेश की जरूरत क्या होती है  | इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है | 

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अध्यादेश (Ordinance) क्या होता है 

अध्यादेश एक संवैधानिक प्रक्रिया कही जाती है | यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से देश में उस समय कानून लागू करने का  काम किया जाता है, जिस समय संसद अथवा राज्य विधानमण्डल के दोनों सदन या कोई एक सदन सत्र में न हो और उस समय कानून का लागू करना बहुत ही जरूरी होता है। इसलिए ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल क़ानून को लागू  करते है | राष्ट्रपति को अनुच्छेद-123 के तहत तथा राज्यपाल को अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश लाने के अधिकार  प्राप्त है । इसके साथ ही जब राष्ट्रपति को  प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की तरफ से सलाह प्रदान की जाती है तभी राष्ट्रपति किसी भी अध्यादेश को जारी करने का काम करता है।  

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अध्यादेेश के प्रयोग की सीमाएं

  1. राष्ट्रपति को उन्हीं विषयों के संबंध में अध्यादेश जारी करने का आदेश दिया जाता है जिन विषयों पर संसद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की जाती है। इसके अलावा जब संसद में केवल एक सदन का सत्र चल रहा हो तब अध्यादेश जारी किया जा सकता है |  
  2. अध्यादेश के द्वारा नागरिकों के मूल अधिकारों को नहीं छीना जा सकता है क्योंकि, अनुच्छेद 13(क) के अधीन विधि शब्द के अंतर्गत ‘अध्यादेश’ भी आता है।
  3. राष्ट्रपति द्वारा जारी किये जाने वाले अध्यादेश की अवधि केवल 6 हफ्ते की ही होती है, जिसे पास करने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रपति के पास भेजते हैं, लेकिन अध्यादेश को 6 हफ्ते के भीतर फिर से संसद के पास वापस भेज दिया जाता है। इसके बाद  फिर से जारी करने के लिए इसे सामान्य बिल के तौर पर सभी चरणों  को पार करना होता है | 
  4. अध्यादेश को अस्पष्टता, मनमाना प्रयोग, युक्तियुक्त और जनहित के आधार पर चुनौती भी प्रदान की जा सकती है।
  5. राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए अध्यादेश को राष्ट्रपति किसी भी समय वापस भी ले सकता है |

संविधान का अनुच्छेद-123 क्या कहता है?

संविधान का अनुच्छेद-123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है | संविधान कहता है कि, “अगर कोई ऐसा मुद्दा हो, जिस पर तत्काल प्रभाव से कानून लाने की जरूरत हो, तो संसद के सत्र का इंतजार करने की बजाए सरकार अध्यादेश के जरिए उस कानून को लागू कर सकती है,लेकिन इस अनुच्छेद में ये भी साफ है कि अध्यादेश को बेहद जरूरी या आपात स्थितियों में ही लाया जाना चाहिए | अब ये जरूरी स्थितियां क्या हैं, ये शायद इतना साफ नहीं है  यही वजह है कि 26 जनवरी, 1950 से लेकर अब तक 700 से ज्यादा अध्यादेश देश की सरकारें ला चुकी हैं |इनमें से कई ऐसे भी अध्यादेश थे, जिन्हें साफ-साफ ‘बेहद जरूरी’ नहीं कहा जा सकता है |”

26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान

देश में अध्यादेशों का इतिहास

  • 26 जनवरी 1950 के बाद से अबतक देश में 700 से ज्यादा अध्यादेश लागू किए गए है | 
  • साल 1993 में एक साल में सबसे  अधिक 34 अध्यादेश पारित किए गए थे |
  • इसके बाद 1950 और 1996 में 32-32 अध्यादेश पारित किए गए थे | 
  • साल 1997 में 31 अध्यादेश पारित हुए थे |
  • इसके बाद फिर 1960 और 1982 में केवल एक ही अध्यादेश पारित किया गया था |
  • अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल (1998-2004) में 58 अध्यादेश जारी किये थे |

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