वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) क्या होता है

AQI क्या होता है  

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भारत की ही नहीं पूरे विश्व के लिए एक नयी चुनौती बन चुकी है | जिसका सामना भारत के साथ अन्य कई देश भी इस समस्या के समाधान को लेकर जूझते नजर आ रहे है | वहीँ बात करते है भारत के शहर दिल्ली की जोकि देश की राजधानी है | साल के अक्टूबर और नवम्बर महीने में प्रत्येक वर्ष प्रदूषण की स्थिति बहुत तेजी से बिगड़ जाती है |  प्रदूषण की इसी समस्या को देखते हुए इसके माप के लिए भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 17 सितंबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत देश की राजधानी नई दिल्ली में आरम्भ किया गया था | AQI का पूरा नाम एयर क्वालिटी इंडेक्स है जिसे हिंदी में वायु गुणवत्ता सूचकांक कहते है |

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वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) चर्चा में क्यों है?

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index or AQI) के अनुसार “खराब/poor” श्रेणी की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है यानि कि बेहद खराब स्थिति में पहुँच गया है | जिसे  देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board ) ने प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए एक आपातकालीन कार्य योजना (emergency action plan) लागू करने का निर्णय लिया है |

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एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) क्या बताता है जानिए इसके मुख्य तथ्य?

AQI यदि 0-50 के मध्य होता है तो उसे अच्छा माना जाता हैं, यदि 51-100 को “संतोषजनक” माना जायेगा, अगर AQI 101-200 को “ठीक-ठाक” स्थिति में होगा, यदि AQI 201-300 को “खराब” स्थिति में होगा, अगर इससे भी ज्यादा 301-400 को “बहुत खराब” कहा जायेगा और यदि 401-500 को “भीषण” बहुत माना जाता है |

  • 0-50 = Good  (अच्छा)
  • 51-100 = Average(संतोषजनक)
  • 101-200 = Slightly (थोड़ा प्रदूषित)
  • 201-300 = Poor (खराब)
  • 301-400 = Very Poor (बहुत खराब)
  • 401- 500 = Severe (भीषण – खतरनाक)

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वायु प्रदूषण के मुख्य कारण (Causes of Air Pollution)

  • हवा के बहाव में कमी आना
  • दिवाली के अवसर पर अत्यधिक बारूद जलाना
  • किसानों द्वारा अधिक पराली जलाना
  • चिमनियों से निकलने वाले धुआँ |
  • वाहनों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि
  • गन्दा कचरा या प्लासिटक जलाना
  • औद्योगिक क्षेत्रों के कारखानों से निकलने वाला धुँआ तथा रसायन पदार्थों से वायु दूषित होती है
  • आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसों से तथा धूल-कण से।
  • जंगलों की कटान से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धुंआ |

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वायु प्रदूषण रोकने के उपाय (Measures to control Air Pollution)

  • वायु प्रदूषण कम करने में पेड़ों का सबसे बड़ा योगदान रहता है। इसलिए सड़कों, नहर पटरियों तथा रेल लाइन के किनारे तथा खली पड़े अन्य भू भाग पर व्यापक रूप से वृक्ष लगाए जाने चाहिए |
  • औद्योगिक क्षेत्रों के पास हरित पट्टियों का उपयोग किया जाना चाहिए जिसमें ऐसे पेड़ लगाए जायें जो चिमनियां का धुंआ और आद्योगिक कंपनियों का धुंए के साथ निकलने वाली घातक गैस को अवशोषित करने की क्षमता रखते हो, जैसे पीपल एवं बरगद पेड़ इसके लिए उपयुक्त माने जाते है।
  • औद्योगिक कारखानों तथा सरकार को प्रयास करना चाहिए कि वायुमण्डल में फैलने वाली घातक गैसों की मात्रा निर्धारत मानकों के ही मुताबिक रखा जाये, जिसके लिए सभी उद्योगिक कंपनियों में वायु शुद्धिकरण यन्त्र अवश्य लगाए जाने चाहिए।
  • चिमनियों की उॅंचाई मानकों के अनुसार पयार्प्त होनी चाहिए ताकि आस-पास कम से कम प्रदूषण हो सके ।
  • पेट्रोल कारों में कैटेलिटिक कनवर्टर लगाने से वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। तथा पेट्रोल और डीजल कारों का प्रयोग कम से कम होना चाहिए, बैटरी और CNG कारों से प्रूदषण नहीं होता है। इन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाये |
  • जीवाश्म ईंधनों (पेट्रोलियम, कायेला), जो वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं, उनका प्रयोग कम करके सौर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे विकल्प पर्यावरण को बचाने में सहायक हो सकते है |

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हमारा वायुमण्डल हमारे स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, यह जानते हुए भी हमने विपरीत विभिन्न पर्यावरणीय तन्त्रों को दयनीय स्थिति तक परिवर्तित कर दिया है जिसके परोक्ष घातक परिणाम हमें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे है। ऐसी खराब स्थिति में पर्यावरण पर ध्यान न देना भविष्य में आत्महत्या सिद्ध होगा। इसलिए पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए तथा उसमे सुधार हेतु हर सम्भव प्रयास करना होगा|

यहाँ पर हमनें वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) क्या होता है इसके बारे में जानकारी उपलब्ध करायी है, यदि इससे सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से अवश्य साझा कर सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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