सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) क्या होता है

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) से सम्बन्धित जानकारी

अगर सूर्य ग्रहण की तुलना भारत की अन्य देशों के लिये सूर्य ग्रहण से की जाए तो आध्यामित्क महत्व न होकर वैज्ञानिक महत्व माना जाता है| हिन्दू धर्म में ग्रहणों का खास महत्व होता है, इसको लेकर भारत में कई तरह की धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी होती हैं | जैसे ग्रहण के समय गंगास्नान,दान आदि की परंपरा भारत में मानी जाती है। इन ग्रहणों से प्रदेश, देश व आम जन नागरिक भी प्रभावित होते है।

यदि यही बात वैज्ञानिकों के लिये करे तो यह दिन उनके लिए किसी बडे उत्सव से कम महत्व नहीं होता है | इस दिन वैज्ञानिकों को शोध करने के नए नए अवसर मिलते है | कई बार तो इसके लिए लम्बे समय तक इस तरह के समय का इन्तजार भी करते रहते है | क्योंकि ब्रह्माण्ड को जानने के लिए सूर्य ग्रहण के दिन एक खास प्रकार का प्रयोग किया जा सकता है | यदि सूर्य ग्रहण क्या है, यह कैसे लगता है, इसे देखने से क्या होता है | इसके बारे में जानकारी दी जा रही है|

ADVERTISEMENT विज्ञापन

ये भी पढ़े: दीपावली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त क्या है ?

ADVERTISEMENT विज्ञापन

ये भी पढ़े: होली (Holi) क्यों मनाई जाती है ?

आइये जानते है, सूर्य ग्रहण कैसे लगता है

जब कोई खगोलीय पिण्ड पूर्ण अथवा आंशिक रुप से किसी अन्य पिण्ड को ढ्क लेता है या फिर उसके पीछे आ जाता है तब उसे ग्रहण कहते है | सूर्य एक प्रकाश पिण्ड होता है, जिसके चारों ओर ग्रह घूमते रहते है |  अपनी कक्षाओं में घूमते समय जब तीन खगोलीय पिण्ड एक ही रेखा में आ जाते है | तब ग्रहण की स्थिति बनती है |

यानि की सबसे आसान भाषा में कहा जाए तो सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब सूर्य की चक्रीय प्रक्रिया के समय चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य आ जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से दिखाई देने वाले सूर्य का अवरोधक कर छाया कर देता है, जिससे सूर्य का आवृ्त भाग फिर दिखाई नहीं देता है |

ADVERTISEMENT विज्ञापन

ये भी पढ़े: धनतेरस कब है

ये भी पढ़े: गोवर्धन पूजा क्या होती है?

सूर्य ग्रहण की घटना कब घटित होती है इन शर्तों के अंतर्गत सूर्यग्रहण होता है

सूर्य ग्रहण की घटना के समय ऐसी स्थिति का होना जरूरी होता है, जब सूर्य ग्रहण होता है-

  • पूर्णिमा या अमावस्या का होना जरूरी होता है
  • चन्दमा का रेखांश राहू या केतु के पास होना आवश्यक होता है |
  • चन्द्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होना जरूरी होता है |

ये भी पढ़े: धनतेरस पर धन प्राप्ति के उपाय

सूर्य ग्रहण देखने से क्या होता है

डॉ. गीता के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, व्यक्ति को सीधे सूर्य ग्रहण को देखने से बचना चाहिए | सूर्य ग्रहण को देखते हुए कुछ खास सावधानियों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि, सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) के समय सोलर रेडिएशन से आंखों के नाजुक टिशू डैमेज भी हो सकते हैं | और भी कई समस्याए आ सकती है जैसे आखों में विजन – इशू यानी कि देखने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है | जिसे साइंस की भाषा में रेटिनल सनबर्न भी कहते हैं| ये परेशानी कुछ समय के लिए फिर या हमेशा के लिए भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है|

ये भी पढ़े: छठ पूजा कब है

ये भी पढ़े: शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के नाम कहाँ पर स्थित हैं

ये भी पढ़े: विक्रम संवत (Vikram Samvat) क्या है

यहाँ पर हमनें सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) के विषय में जानकारी दी| यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है, और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पोर्टल kaiseinhindi.com पर विजिट करते रहे |

ये भी पढ़े: कैलाश मानसरोवर यात्रा ऑनलाइन आवेदन (Registration) कैसे करे