धनतेरस कब है

धनतेरस पूजा विधि और शुभ मुहुर्त 

हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहारो में धनतेरस भी एक प्रमुख त्योहार है । कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था | इस कारण इस तिथि को ‘धनतेरस’ या ‘धनत्रयोदशी’ के नाम से जाना जाता है । धनतेरस दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है । धनतेरस के दिन लक्ष्मी-गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है । धनतेरस अर्थात अपने धन को तेरह गुना बढानें और उसमें वृद्धि करने का द‌िन । इसी दिन भगवान धनवन्‍तरी समुन्‍द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश व आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे, जिसके कारण भगवान धनवन्‍तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है । धनतेरस के दिन सोने-चांदी के बर्तन तथा धातु खरीदना अति शुभ माना जाता है । धनतेरस कब है, इसकी पूजा विधि से सम्बंधित जानकारी आपको इस पेज पर विस्तृत रूप से दे रहे है |

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धनतेरस कब है

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हमारे देश में मनाये जाने वाले प्रत्येक त्योहार का अपना एक अलग महत्व होता है | ऐसा ही धनतेरस एक त्योहार है, जिसे  दिवाली से पहले मनाया जाता है, और इस दिन विशेष पूजा की जाती है | इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है | यह त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है | इस वर्ष धनतेरस शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019 को है |

धनतेरस कैसे मनायी जाती है

  • इस प्रसिद्ध त्योहार से पूर्व लगभग सभी लोग सामान्यतः अपने घरों की मरम्मत, साफ सफाई और पुताई कराते है, इसके साथ-साथ अपने घर के आंतरिक और बाहरी भाग को अनेक प्रकार की विद्युत लाइटो से सजाते है, अपने-अपने घरो में रंगोली बनाते है, मिट्टी के दीये जलाते है, और कई और परंपराओं का पालन करते है ।
  • सभी लोग अपने घर में समृद्धि और धन प्राप्ति हेतु देवी लक्ष्मी के तैयार किए गए पैरों के निशान चिपकाते हैं ।
  • सूर्य अस्त होनें के पश्चात  देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की प्रतिमा को गुलाब, गेंदें तथा अनेक प्रकार के फूलों की माला, मिठाई, घी के दिये, धूप-दीप, अगरबत्ती, कपूर को अर्पित करके समृद्धि, बुद्धिमत्ता प्राप्ति के लिये पूजा-अर्चना करते है ।
  • पूजा के दौरान सभी लोग नये कपङे और गहने पहनकर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रोंच्चारण, भक्ति गीत और आरती गाते है ।

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धनतेरस पूजा विधि

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धनतेरस की पूजा दीपावली के पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन की जाती है । इस दिन भगवान धन्वन्तरि के साथ हीं यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जला कर रखा जाता है, जिसे हम यम दीप के नाम से जानते हैं । ऐसा कहा जाता है, कि यमराज के लिए दीप प्रज्वलित करनें से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है, और इसी दिन देवताओं और राक्षसों के मध्य समुद्र मंथन के बाद, धनवंतरी जी, अमृत के कलश हाथ मे धारण किये हुए समुद्र से बाहर आए थे । धनतेरस के इस शुभ दिन पर, देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और प्रार्थना की जाती है, माँ हमारे ऊपर सदेव समृद्धि और सुख की वर्षा करते रहे । इस दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों भी बाजार से खरीदी जाती है, जिनकी पूजा दीवाली के दिन की जाती है ।

धनतेरस पूजा की विधि इस प्रकार है-

धनतेरस पूजा में सर्वप्रथम संध्या को यम दीप की पूजा की जाती है, उसके बाद भगवान धन्वन्तरि की पूजा होती है, इसके पश्चात गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाती है |

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यम दीप पूजन विधि

चौकी को धो कर सुखा लें। उस चौकी के बीचोंबीच रोली घोल कर 卐(स्वास्तिक या सतिया) बनायें । अब इस 卐(स्वास्तिक या सतिया) पर सरसों तेल का दीपक (गेहूँ के आटे से बना हुआ ) जलायें । उस दीपक में छेद वाली कौड़ी को डाल दें । अब दीपक के चारों ओर गंगा जल से तीन बार छींटा दें । अब हाथ में रोली लें और रोली से दीपक पर तिलक लगायें । अब रोली पर चावल लगायें । अब दीपक के अंदर थोड़ी चीनी डाल दें ।अब एक रुपए का सिक्का दीपक के अंदर डाल दें । दीपक पर फूल समर्पित करें । पूजा में उपस्थित सभी लोग दीपक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें, हे यमदेव हमारे घर पर अपनी दयादृष्टि बनाये रखना और परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा करना । सभी सदस्यों को तिलक लगाए । अब दीपक को उठा कर घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाहिनी ओर रख दे (दीपक का लौ दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए) ।

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धन्वन्तरि पूजन विधि

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यम दीप की पूजा के बाद धन्वन्तरि पूजा की जाती है ।

अब पूजा घर मे बैठ कर धूप,दीप (घी का दिया मिट्टी की दिये में), अक्षत,चंदन और नैवेद्य के द्वारा भगवान धन्वन्तरि का पूजन करें । पूजन के बाद धन्वन्तरि के मंत्र का 108 बार जप करें ।

“ॐ धं धन्वन्तरये नमः”

जाप को पूर्ण करने के बाद दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना करें कि “ हे भगवान धन्वन्तरि ये जाप मैं आपके चरणों में समर्पित करता हूँ, कृप्या हमें उत्तम स्वास्थ प्रदान करे” । धन्वन्तरि की पूजा हो जाने पर अंत में गणेश लक्ष्मी की पूजा करे |

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गणेश लक्ष्मी पूजन विधि

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धन्वन्तरि पूजन के बाद गंणेश लक्ष्मी जी की पूजा धूप,दीप(घी का दिया मिट्टी की दिये में),अक्षत,चंदन और नैवेद्य के द्वारा पंचोपचार विधि से करें :-

सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है।पहले गणेश जी के आगे दीप प्रज्वल्लित करें।अब धूप दिखायें, उसके बाद इत्र समर्पित करें।भगवान को फूल समर्पित करें । अब गणेश जी को भोग लगायें । अंत में जल समर्पित करें । इसी प्रकार से माँ लक्ष्मी की भी पंचोपचार विधि से पूजा करे ।

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