एनसीएलटी (NCLT) क्या है

एनसीएलटी की जानकारी (Information About NCLT)

समाचार पत्रों और मीडिया के माध्यम से अक्सर हम सुनते है, कि यह कम्पनी दिवालिया हो गयी है| अभी तक हमारे देश में दिवालिया होनें वाली कम्पनियों की संख्या काफी अधिक है| कंपनी दिवालिया होने की स्थिति में सबसे बुरे हालात कर्ज देने वाले बैंक के साथ कर्मचारियों के होते हैं, जिन्‍हें अपना मेहनताना भी नहीं मिल पाता, लेकिन सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए कानून में कर्मचारियों को भी दीवालिया हुई कंपनी की संपत्ति जब्‍त करने का अधिकार मिल गया है। किसी भी कंपनी के दिवालिया होने पर मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास जाता है| आईये जानते है,  एनसीएलटी (NCLT) क्या है, और इसके नियम के बारे में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है|

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 एनसीएलटी  फुल फॉर्म (Full Form Of NCLT)

एनसीएलटी को हिंदी में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण कहते है, और इसे अंग्रेजी में National Company Law Tribunal (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) कहते है| एनसीएलटी को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत बनाया गया है| जिसने कंपनी अधिनियम 1956 का स्थान लिया है| शरुआत में एनसीएलटी की ग्यारह शाखाएं थी, दिल्ली में दो, अहमदाबाद इलाहाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में एक-एक शाखाएं स्थापित की गयी थी, जो अब बढ़ा दी गयी है|

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एनसीएलटी क्या है (NCLT Kya Hai)

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) सुप्रीम कोर्ट द्वारा कंपनियों के संबंध में कानूनों के अंतर्गत संभालने के लिए स्थापित किया गया है। एनसीएलटी एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है जो संरचनाओं, कानूनों को संभालता है और कॉर्पोरेट मामलों से संबंधित विवादों का निपटारा करता है। NCLT का गठन भारत के संविधान में अनुच्छेद 245 पर किया गया है।

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राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का गठन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 410 के तहत किया गया था| यह एक जून 2016 से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए बनाया गया ट्रिब्यूनल है| सबसे पहले किसी कंपनी के दिवालिया होने पर मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास जाता है| यहां इसके लिए इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया जाता है, जिसे यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वह 180 दिनों के अन्दर कंपनी को रिवाइव करने का प्रयास करे| यदि कंपनी 180 दिनों के अन्दर रिवाइव हो जाती है, तो फिर से सामान्य कामकाज करने लग जाती है| यदि ऐसा नहीं होता तो उसे दिवालिया मानकर आगे की कार्रवाई की जाती है|

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एनसीएलटी की स्थापना जून 2016 में की गई थी और 2017 में कानूनी ताकत उस समय मिली, जब भारत का नया दिवालिया कानून प्रभाव में आया। 12 फरवरी को बैंकिंग रेग्युलेटर ने बैंकों को आदेश दिया कि यदि डिफॉल्टर अपने रिपेमेंट प्लान के साथ 6 महीने में हाजिर न हों तो उन्हें सीधे एनसीएलटी लाया जाए। इससे अदालत में ऐसे मामलों में तेजी आएगी। 31 जनवरी तक कोर्ट में ऐसे करीब 9073 मामले हैं, जिनमें 2511 दिवालियापन से जुड़े हैं, 1630 मामले मर्जर से जुड़े हैं और 4932 मामले कंपनी ऐक्ट की अन्य धाराओं से जुड़े हैं।  

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एनसीएलटी के कार्य और अधिकार क्षेत्र (Functions And Jurisdiction Of NCLT)

एनसीएलटी के कार्य पर अधिकार क्षेत्र इस प्रकार है –

1.वर्ग कार्यवाही (Class action)

भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी कंपनी जो निवेशकों से धन की चोरी करती है, एनसीएलटी द्वारा जुर्माना और दंडित किया जा सकता है। निवेशकों और शेयरधारकों को धोखा देकर पैसा बनाने वाली कंपनियों से पीड़ितों को उनके नुकसान की भरपाई की उम्मीद की जाती है। क्लास एक्शन सूट निजी और सार्वजनिक दोनों कंपनियों के खिलाफ काम करता है लेकिन बैंकिंग संस्थानों के खिलाफ दायर नहीं किया जा सकता है।

2.शेयर ट्रांसफर विवाद (Share Transfer Dispute )

यदि कोई भी कंपनी शेयरों को हस्तांतरित करने से इनकार करती है या हस्तांतरण का पंजीकरण नहीं करती है, तो पीड़ित व्यक्ति या जो व्यक्ति इस कदाचार के कारण नुकसान उठाते हैं, वह एनसीएलटी से दो महीने के अन्दर समय-समय पर न्याय मांग सकते हैं। सुरक्षा हस्तांतरण के लिए अनुबंध और व्यवस्था धारा 58 और 59 के अनुसार एनसीएलटी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

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3.उत्पीड़न मामले में (In HarassmEnt Matter)

धारा 397 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को केवल दुर्व्यवहार और कुप्रबंधन के मामलों के बारे में शिकायत दर्ज करने की स्वतंत्रता दी गई थी, लेकिन ट्रिब्यूनल, लोगों को सभी प्रकार के दुरुपयोग के लिए न्याय पाने का अवसर देता है, चाहे वह अतीत या वर्तमान में हो। अगर किसी कंपनी का कामकाज पक्षपातपूर्ण है और इसका उद्देश्य दूसरों के प्रति दमनकारी होते हुए कुछ पार्टियों को लाभ पहुंचाना है, तो उसे ट्रिब्यूनल से संपर्क करने और कंपनी के मामलों को देखने की मांग करने का अधिकार है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शामिल सभी पक्षों को न्याय मिलता है।

4.जाँच पड़ताल (Investigation)

ट्रिब्यूनल किसी भी कंपनी के कामकाज की जांच के लिए कह सकता है| यदि कोई आवेदन उस विशेष कंपनी के खिलाफ 100 सदस्यों द्वारा दायर किया गया हो। एनसीएलटी के बाहर कोई भी व्यक्ति या समूह यदि इसके द्वारा अधिकृत है तो वह कुछ स्थितियों में जांचकर्ताओं के रूप में काम कर सकता है। ट्रिब्यूनल कंपनी की परिसंपत्तियों को फ्रीज कर सकता है और यदि आवश्यक हो तो उत्पादों पर प्रतिबंध लगा सकता है।

इस निकाय की स्थापना से कॉरपोरेट सिविल विवादों के संबंध में फास्ट ट्रैक न्याय में मदद मिली है और इसने न्यायिक प्रणाली की दक्षता को बढ़ाने में भी योगदान दिया है। इसने एनसीएलटी को विशेष अधिकार क्षेत्र दिया है, जबकि मामलों की सुनवाई करने और फलदायक निर्णय के लिए आवश्यक समय को भी घटा दिया है।

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अधिकरण को तथ्यों की जांच करना, चर्चा करना और निगम से संबंधित कानूनी मामलों का निष्कर्ष निकालना है। ट्रिब्यूनल उच्च न्यायालय, औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (BIFR) और औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण के लिए अपीलीय प्राधिकरण (AAIFR) की न्यायिक शक्तियों पर एक स्वतंत्र अधिकार बन गया है। इस प्रकार, ट्रिब्यूनल उन सभी कंपनियों के सभी मामलों को संभालता है जो भारत में सूचीबद्ध हैं।

यहाँ पर हमनें एनसीएलटी अर्थात नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के विषय में बताया, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहें है |

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