आर्थिक मंदी (Economic Recession) के विषय में जानकारी
किसी भी देश का विकास वहां की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है | अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट होने को आर्थिक मंदी कहा जाता है | विकसित राष्ट्रों द्वारा किया जाने आयात और निर्यात पर अचानक टैक्स को बढ़ाना और घटाना आर्थिक मंदी का एक स्रोत है, इसका प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ता है | आर्थिक मंदी में वस्तुओं की खपत कम हो जाती है, जिससे उत्पादित माल की बिक्री नहीं हो पाती है | इसका विपरीत प्रभाव उत्पादित करने वाली कंपनियों पर पड़ता है | इस पेज पर आर्थिक मंदी क्या होती है, कारण, प्रभाव के विषय में जानकारी दी जा रही है |
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विश्व आर्थिक मंदी (World Economic Recession)
जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में निरन्तर गिरावट दर्ज की जाती है और सकल घरेलू उत्पाद कम से कम तीन महीने डाउन ग्रोथ होता रहता है, तो इस स्थिति को विश्व आर्थिक मंदी कहा जाता है |
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आर्थिक मंदी (Economic Recession)
आर्थिक मंदी को इस प्रकार से समझा जा सकता है, जब लोगों के पास पैसे की कमी होती है, तो वह अपनी आवश्यकताओं को कम करने का प्रयास करते है | आवश्यकताओं को कम करने से उत्पादित माल की बिक्री नहीं हो पाती है | माल की बिक्री न होने से कम्पनी को लाभ कम होता है | कम्पनी अपने लाभ के अनुसार ही कर्मचारियों को रखना चाहेंगी, जिससे बड़ी- बड़ी कंपनियों में छटनी की जाती है, जिससे लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार होते है | बेरोजगारी का असर उनके परिवार पर पड़ता है, जिससे वह अच्छा भोजन करने में असमर्थ होते है, इससे कुपोषण में वृद्धि होती है |
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आर्थिक मंदी के कारण (Reason)
- आर्थिक मंदी का प्रमुख कारण धन का प्रवाह रुक जाना है | धन के प्रवाह से आशय है कि लोगों की खरीदने की क्षमता घट जाना है और इसलिए वह बचत भी कम कर पाते हैं |
- अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती है, जिससे महंगाई दर बढ़ जाती है और लोग अपनी आवश्यकता की चीजे नहीं खरीद पाते है |
- डॉलर के मुकाबले रुपये की घटती हुई कीमत भी इसका मुख्य कारण है |
- आयात के मुकाबले निर्यात में गिरावट होने से देश का राजकोषीय घाटा बढ़ जाता और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखने को मिलती है |
- अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की वजह से भी दुनिया में आर्थिक मंदी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिसका असर भारत पर भी हो रहा है |
- मंदी के समय निवेश कम हो जाता है क्योंकि लोगों की आय कम हो जाती है |
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आर्थिक मंदी का प्रभाव (Effect)
- आर्थिक मंदी से बेरोजगारी में वृद्धि होती है |
- लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसा ही नहीं बचता है |
- आर्थिक विकास दर लगातार गिरती रहती है |
- औद्योगिक उत्पादन में गिरावट होती है |
- बचत और निवेश में कमी होती है |
- कर्ज की मांग घट जाती है |
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यहाँ पर हमनें आर्थिक मंदी क्या होती है, कारण, प्रभाव के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी है, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है
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