इसरो (ISRO) क्या है?

इसरो (ISRO) के विषय में जानकारी

भारत को विकास की ओर ले जाने के लिए एक ऐसे संगठन की आवश्यकता हुई जो अंतरिक्ष से सम्बंधित सूचनाओं को एकत्रित करके उस पर अनुसन्धान करके भारत को टेक्नोलॉजी प्रदान करे | जिससे भारत अन्य देशों के साथ मुकाबला करके सुविधाओं का जाल पूरे भारत में फैला सके जिससे भारत उस टेक्नोलॉजी के माध्यम से विकसित राष्ट्र के शिखर को छू सके | भारत में सूचना प्रोद्यौगिकी का विस्तार इसरो के द्वारा ही सफल हो सका है, इस पेज पर ISRO क्या है, फुल फॉर्म, इसरो (ISRO) के बारे में जानकारी दी जा रही है |

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ISRO क्या है (What is ISRO)?

ISRO की स्थापना 15 अगस्त 1969 को विक्रम साराभाई के द्वारा की गई थी | ISRO भारत सरकार का अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक संगठन है, जो अंतरिक्ष सम्बंधित अनुसन्धान करके सैटेलाइट और तकनीक का निर्माण करता है | इस तकनीक का प्रयोग भारत सरकार विकास के कार्यों और भारत की सुरक्षा में लिए करती है | जिससे भारत को आतंरिक और बाहरी सुरक्षा प्रदान की जा सके | ISRO भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी है | इस संगठन के पूरे भारत में कई केंद्र है, जिनके माध्यम से अनुसन्धान और तकनीक का विकास किया जाता है | भारत इसरों के सफल प्रयासों के कारण ही विश्व का छठा देश बन गया है, जो स्वयं सैटेलाइट और अन्य उपकरण का निर्माण करके इन्हें अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित स्थापित कर सकता है | वर्तमान समय में भारत कई देशों के सैटेलाइट और उपकरण को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करके आय का अर्जन कर रहा है |

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ISRO का फुल फॉर्म (Full Form)

ISRO का फुल फॉर्म Indian Space Research Organisation है हिंदी भाषा में इसे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ के नाम से जाना जाता है |

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इसरों का मुख्यालय (Headquarter)

इसरों का मुख्यालय कर्नाटक राज्य की राजधानी बंगलुरु (Bengaluru) में स्थापित है |

इसरों के कितने केंद्र (Centers) है ?

देश भर में इसरो के छ: प्रमुख केंद्र तथा कई अन्य इकाइयाँ, एजेंसी, सुविधाएँ और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं | यह केंद्र इस प्रकार है- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) तिरुवनंतपुरम, इसरो उपग्रह केंद्र (आईएसएसी) बेंगलूर, सतीशधवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी-शार) श्रीहरिकोटा, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) तिरुवनंतपुरम, बेंगलूर और महेंद्रगिरी में, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद में और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद में स्थित हैं |

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इन केंद्रों के प्रमुख कार्य (Work) क्या हैं?

  • वीएसएससी, तिरुवनंतपुरम में प्रमोचन यान का निर्माण किया जाता है |
  • आइजैक, बेंगलूर में उपग्रहों को अभिकल्पित और विकसित किया जाता है |
  • एसडीएससी, श्रीहरिकोटा में उपग्रहों और प्रमोचन यानों का एकीकरण और प्रमोचन किया जाता है | एलपीएससी में निम्नतापीय चरण सहित द्रव चरणों का विकास किया जाता है |
  • सैक, अहमदाबाद में संचार और सुदूर संवेदन उपग्रहों के लिए संवेदकों तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग संवंधित का कार्य किए जाते हैं |
  • एनआरएससी, हैदराबाद द्वारा सुदूर संवेदन आँकड़ा अभिग्रहण, संसाधन और वितरण का कार्य किया जाता है |

नोट: प्रमोचन यान एक विशाल रॉकेट है जो उपग्रह, रोबॉटिक अंतरिक्ष यान और मानव सहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाने का कार्य करते हैं |

चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2)

अभी हाल ही इसरों के प्रयासों से भारत ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से भारतीय समयानुसार 02:43 अपराह्न को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया | इस सफल प्रक्षेपण के बाद भारत विश्व के सामने एक अंतरिक्ष शक्ति बन कर उभरा है, इसका पूरा श्रेय इसरों और उनके वैज्ञानिकों को जाता है | इस प्रकार से कहा जाता है, भारत को विकास के मार्ग में आगे बढ़ाने में इसरों मुख्य भूमिका का निर्वहन कर रहा है |

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यहाँ पर हमनें ISRO क्या है, फुल फॉर्म, इसरो (ISRO) के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी है, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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