एनआरसी (NRC) क्या है?

एनआरसी से सम्बंधित जानकारी (About NRC) 

जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो काफी संख्य में दोनों तरफ से शरणार्थियों का स्थानांतरण हुआ। विभाजन के  दौरान काफी संख्या में लोग आसाम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, परन्तु उनकी ज़मीनें और संपत्तियां असम में थी, जिसके कारण  इनमें से कई लोगों का भारत में आना-जाना लगा रहा। इसका परिणाम यह हुआ, कि मूल भारतीय नागरिकों और अवैध शरणार्थियों के बीच यह जानना मुश्किल होने लगा कि यह व्यक्ति भारतीय है अथवा नही । जिसके कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगी, सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए वर्ष 1951 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार किया। आईये जानते है, कि एनआरसी (NRC) क्या है?

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एनआरसी का फुल फॉर्म (Full Form Of NRC)

NRC का फुल फॉर्म National Register of Citizens है, तथा हिंदी में भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर कहते है।

एनआरसी क्या है (What Is NRC)

एनआरसी अर्थात नेशनल सिटिजन रजिस्टर असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है। जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है। इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया। इसके अंतर्गत रजिस्टर में उन्ही लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं, या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।

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असम देश का अकेला ऐसा राज्य है, जहां एनआरसी लागू है। राज्य में पहली बार नेशनल सिटीजन रजिस्टर वर्ष 1951 में बना था। उस समय की गयी जनगणना में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को राज्य का नागरिक माना गया था। इसके बाद बीते कुछ सालों से राज्य में एकबार फिर उसे अपडेट करने की मांग की जा रही थी। दरअसल पिछले कई दशकों से राज्य में पड़ोसी देशों खासकर बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ से वहां जनसंख्या का संतुलन बिगड़ने लगा । जिसके कारण वहां के लोग एनआरसी अपडेट करने की मांग कर रहे थे।

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एनआरसी से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाक्रम (Important Developments)

  • 1951- पहली बार एनआरसी तैयार किया गया
  • 1971- भारत-पाकिस्तान युद्ध और बड़ी मात्रा में बांग्लादेशी शरणार्थियों का भारत में प्रवेश
  • 1970-80- असम में जनांकिकीय परिवर्तन और परिणामस्वरूप अवैध शरणार्थियों और राज्य के निवासियों के बीच सामाजिक, जातीय और वर्ग-संघर्ष शुरू
  • 1979-85- ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के नेतृत्व में असम विद्रोह शुरू और इसको ऑल असम गण संग्राम परिषद का भी समर्थन
  • 1985- असम समझौते पर हस्ताक्षर और 1951 में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का अद्यतन किया जाना
  • 2012-13- सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप, केंद्र सरकार को एनआरसी को अपडेट करने का दिया निर्देश
  • 31 अगस्त 2019- एनआरसी की अंतिम सूची जारी, करीब 19 लाख लोग हुए बाहर, एनआरसी में गड़बड़ी का आरोप

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एनआरसी लागू करने की आवश्यकता (Need to Implement NRC)

सरकार ने असम में अवैध रूप से निवास कर रहे लोगों को निकालने के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स अर्थात एनआरसी अभियान चलाया|  दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में से यह एक है, इस अभियान के अंतर्गत अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहले पहचान की जाएगी फिर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाएगा| जैसे कि असम में इस समय लगभग 50 लाख बांग्लादेशी गैर-कानूनी ढंग से रह रहे हैं, जिसकी वजह से यहां सामजिक और आर्थिक समस्याएं कई दशकों से बनी हुई है| एनआरसी उन्हीं राज्यों में लागू होती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं। एनआरसी की रिपोर्ट ही बताती है, कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है, यदि वह व्यक्ति भारतीय है, तो उन्हें सामान रूप से वह सभी अधिकार प्राप्त होंगे, जो एक भारतीय को प्राप्त है|

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नागरिकता की समाप्ति से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ

  • एनआरसी की सूची जारी होने के बाद वह किसी भी देश के नागरिक नहीं रहे, ऐसी स्थिति में राज्य में हिंसा का खतरा बना हुआ है।
  • ऐसे लोग काफी लम्बे समय से असम में निवास कर रहे थे, भारतीय नागरिकता समाप्त होने के बाद वह न तो पहले की तरह वोट दे सकेंगे, न इन्हें किसी कल्याणकारी योजना का लाभ मिलेगा और अपनी ही संपत्ति पर भी इनका कोई अधिकार नहीं रहेगा।
  • जिन लोगों के पास स्वयं की संपत्ति है, वह दूसरे लोगों का निशाना बनेंगे।

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यहाँ पर हमनें आपको एनआरसी के बारें में बताया| यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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