देवउठनी एकादशी क्या होती है?

देवउठनी एकादशी की जानकारी (Devoutni Ekadashi)

प्रत्येक महीने में दो एकादशी पड़ती हैं, परन्तु सभी महीनो की एकादशी में कार्तिक मॉस में पड़ने वाली एकादशी का सबसे अधिक महत्व माना जाता है| हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी  का विशेष महत्व होता है क्योंकि, देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुवात हो जाती है | अभी कुछ महीने पहले ही 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई गई थी | इस एकादशी से सारे मांगलिक कार्य बंद हो जाते है, और इसके बाद देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते है | इसके अलावा देवउठनी एकादशी को ही तुलसी जी की पूजा की जाती हैं क्योंकि, इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम की शादी हुई थी | जिसके बाद से इस दिन तुलसी माता की भी पूजा की जाती है | इस दिन किसी को भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए | देवउठनी एकादशी क्या होती है? यह कब मनाई जाती है, इसके बारे में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है|

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देवउठनी एकादशी क्या होती है (Devoutni Ekadashi)

ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन भगवान् विष्णु चार महीने सोने के बाद अपनी निंद्रा से उठते है | जिसके बाद इसी दिन से सभी मांगलिक और शुभ कार्यों का प्रारम्भ हो जाता है | इस दिन भगवान् विष्णु के जागने के बाद सभी लोग भगवान विष्णु की पूजा करते है और साथ में ही देवउठनी एकादशी का व्रत भी रखते हैं | इस एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को सुख-समृध्दि की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती है |

देवउठनी एकादशी कब मनाई जाती है (Celebration Of Devoutni Ekadashi)

यह एकादशी हर साल  कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन मनाई जाती है | इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर 2019 को मनाई जाएगी |

शुभ मुहूर्त (Subh Muhurt)

प्रारम्भ –  सुबह 9:55 मिनट से

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 समापन – अगले दिन दोपहर 12 बजे तक

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देव उठनी एकादशी व्रत कथा (Vrat Story)

पहले के युग में शंखासुर नामक एक बलशाली असुर था, इस असुर ने तीनों लोकों में काफी तहलका मचाकर  रखा था | उस असुर से परेशान होकर सभी देवाताओं ने मिलकर भगवान विष्णु से प्रार्थना की | इसके बाद भगवान विष्णु शंखासुर से युद्घ करने गए | शंखासुर और भगवान विष्णु का युद्घ कई वर्षों तक लगातार जारी  रहा और फिर  में  भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर दिया | युध्द करते हुए भगवान विष्णु काफी थक गए अतः क्षीर सागर में अनंत शयन करने लगे | चार महीने सोने के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान की निद्रा टूटी थी | देवताओं ने इस अवसर पर विष्णु भगवान की पूजा की थी | इसके बाद से ही देव उठनी एकादशी व्रत और पूजा का विधान  भी प्रारम्भ कर दिया गया था |

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देवउठनी एकादशी का महत्व (Importance)

  • इस एकादशी को  पाप का नाश करने वाली और मुक्ति दिलाने वाली एकादशी कहा जाता है,  पुराणों में बताया गया है कि, इस दिन के आने से पहले तक गंगा स्नान का महत्व होता हे  |
  • इस दिन स्वयं बर्ह्मा जी ने नारद जी को बताया था, उन्होंने कहा था इस दिन एकान्छा करने से एक जन्म रात्रि भोज से दो जन्म ,और  वहीं जो लोग इस व्रत को सारा दिन रखते हैं  | उनके जन्मो के पाप मिट जाते है |
  • इसके साथ ही जो लोग इस व्रत की कथा को सुनते या पढ़ते हैं  उन्हें सौ गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता  है !

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देव उठनी एकादशी व्रत विधि (Vrat Vidhi)

  • इस  दिन सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त हो लें |
  • इसके बाद व्रत का संल्कप लेते हुए पूजा की जाती है, तथा सूर्योदय होने पर भगवान सूर्य को अर्ध्य अर्पित किया जाता है|
  • इस दिन नदी अथवा कुए पर जाकर स्नान करना काफी शुभ माना जाता है|
  • इस दिन  सारा दिन भूखे रखकर व्रत किया जाता है|
  • इसके बाद उसके अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का समापन करके अन्न ग्रहण किया जाता है|

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