जवाहर लाल नेहरू के राजनीतिक अनमोल विचार

जवाहर लाल नेहरू के विचार

भारत के पहले प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर 1889  उत्तर प्रदेश राज्य के इलाहाबाद शहर में हुआ था | भारत को स्वतंत्रत करानें में इनका अभूतपूर्व योगदान था | इन्हें बच्चों से बहुत ही प्यार था, इसलिए इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है | इन्होंने स्वतंत्रता के बाद विश्व युद्ध के प्रभाव को समाप्त करने हेतु  गुटनिरपेक्ष संगठन का निर्माण कराया जिससे भविष्य में होने वाले विश्व युद्ध पर विराम लगाया  जा सके |

इनके शासन कल में ही वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था | जिसमें भारत पराजित हुआ था | जिस कारण इनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी | इस पेज पर जवाहर लाल नेहरू जी के परिवार में माता- पिता और दादा जी के विषय में जानकारी प्रदान की जा रही है |

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जवाहर लाल नेहरू के राजनीतिक अनमोल विचार

  • मनुष्य की नागरिकता देश की सेवा में निहित है
  • पंडित नेहरु जी कहते थे संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है
  • कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरह निर्देशित किया जाना चाहिए
  • संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है
  • तथ्य तो तथ्य ही रहते हैं, वह आपके नापसंद करने से वह गायब नहीं हो जाएंगे
  • महान कार्य और छोटे लोग साथ-साथ नहीं चल सकते
  • अज्ञानता (किसी भी जानकारी का कम होना) किसी भी बदलाव से हमेशा डरती है
  • हमें अपने जीवन में थोड़ा विनम्र रहना चाहिए, हमें यह सोचना चाहिए कि शायद सत्य पूर्ण रूप से हमारे साथ नहीं है

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  • हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह होती है, कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम करते हैं
  • संस्कृति का मतलब दिमाग और आत्मा का विस्तार करना होता है
  • प्रक्रिया इतनी प्रभावशाली होनी चाहिए, जिससे साफ-साफ अंत का अनुमान लगाया जा सके
  • अधिक सावधानी बरतने की नीति भी एक सबसे बड़ा जोखिम होती है
  • किसी को भी असफलता तभी मिलती है जब अपने आदर्शों और लक्ष्य वह सिद्धांतों को भूल जाता हैं
  • जब तक मैं खुद में आश्वस्त हूँ कि किया गया काम सही काम है तब तक मुझे संतुष्टि रहती है
  • संकट और परेशानियां जब भी आती हैं, तो कम से कम उस समय एक फायदा होता है, कि वह हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं
  • लोकतंत्र अच्छा है, मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि बाकी सभी व्यवस्थाएं और बुरी हैं

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माता-पिता

इनके पिता जी का नाम मोतीलाल नेहरू (1861–1931) था | वह एक धनी बैरिस्टर थे | इनके पिता जी कश्मीरी पण्डित समुदाय से सम्बंधित थे | इनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी थुस्सू (1868–1938) था | यह लाहौर में कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से सम्बंधित थी | वह मोतीलाल नेहरू जी की दूसरी पत्नी थी | पहली पत्नी का प्रसव पीड़ा के कारण मृत्यु हो गयी थी |

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दादा का नाम

जवाहर लाल नेहरू जी के दादा जी का नाम गंगाधर था | वह 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के कुछ समय पहले दिल्ली के कोतवाल थे | स्वतंत्रता संग्राम में इनके पूरे परिवार और घर को बहुत ही हानि हुई, जिस कारण यह दिल्ली से आगरा आ गए थे | चौंतिस साल की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी थी |

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यहाँ पर हमनें आपको जवाहर लाल नेहरू जी के परिवार में माता- पिता और दादा जी के विषय में बताया, यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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