जवाहर लाल नेहरु पर निबंध

जवाहर लाल नेहरु पर कविता और भाषण

जवाहर लाल नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे | यह 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहे | इन्होंने महात्मा गाँधी द्वारा चलाये जा रहे 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में सम्मिलित होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके कारण  9 अगस्त 1942 को बंबई में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इन्हें अहमदनगर जेल में रखा गया था | इस प्रकार से उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेक कष्ट उठानें पड़े थे | नेहरू जी को भारत का आर्किटेक्चर कहा जाता है,  लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं, कि आज देश जिस भौगोलिक एकता और अखंडता के साथ दिखाई पड़ता है, उसमें  मुख्य योगदान पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का है | जवाहर लाल नेहरु पर निबंध, कविता और उनके भाषण  के बारे में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |

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 जवाहर लाल नेहरु पर निबंध

जवाहर लाल नेहरु हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री थे |  इनका जन्म 14 नवंबर 1889 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था | इनके पिता जी का नाम श्री मोती लाल नेहरु जी था | वह उस समय बहुत ही प्रसिद्ध वकील थे | जवाहर लाल नेहरु जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की थी | उच्च शिक्षा  प्राप्त करने के लिए उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया था | उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह वर्ष 1912 में भारत वापस लौट आये | भारत आने के बाद वह एक वकील बन गए | इसके बाद वह महात्मा गाँधी के द्वारा चलाये जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन को सफल बनाने के लिए उसमे शामिल हो गए | स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण वह कई बार जेल भी गये | वर्ष 1947 में भारत जब आजाद हुआ, उस समय इन्हें भारत का प्रथम प्रधान मंत्री चुना गया |

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कविता

नेहरू चाचा तुम्हें सलाम।

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अमन-शांति का दे पैगाम॥

जग को जंग से बचाया।

हम बच्चों को भी मनाया॥

जन्मदिवस बच्चों के नाम।

नेहरू चाचा तुम्हें सलाम॥

देश को दी हैं योजनाएं।

लोहा और इस्पात बनाए॥

बांध बने बिजली निकाली।

नहरों से खेतों में हरियाली॥

प्रगति का दिया इनाम।

नेहरू चाचा तुम्हें प्रणाम॥

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जवाहर लाल नेहरु का भाषण

यह भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस की मध्य रात्रि को दिए गए भाषण के अंश इस प्रकार है-

“कई सालों पहले, हमने किस्मत के साथ एक वादा किया था और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह से न सही पर बहुत हद तक तो निभायें | आधी रात के दौरे के समय, जब दुनिया सो रही होगी, तब भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा ” |

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जवाहर लाल नेहरु के लेख

जवाहर लाल नेहरू जी अपनी पुस्तक “मेरी कहानी में” अपने जीवन के विषय में लेख लिखे है, उसमे उन्होंने अपने बचपन की घटना के बारे में बताया है, जो इस प्रकार है |

“मै अपने पिता जी का बहुत ही सम्मान करता हूँ | वह बहुत ही तेज व कड़क मिजाज के व्यक्ति थे | मैंने उन्हें कई बार नौकरों- चाकरों पर बिगड़ते हुए देखा था | पिता जी के साथ मेरी एक घटना मुझे याद है, क्योंकि मै उसका शिकार हुआ था | मेरी उस समय आयु 5-6 वर्ष होगी | एक दिन पिता जी की मेज पर दो फाउन्टेन पेन रखे थे | मेरा जी ललचाया मैने विचार किया कि पिताजी एक साथ दो पेनों का क्या करेंगे? उसमें से एक पेन मैंने अपनी जेब में डाल लिया | कुछ समय के बाद उस पेन की तलाश शुरू हुई | मै घबरा गया परन्तु मैंने उन्हें बताया नहीं | मेरे पास पेन मिल गया और मै गुनहगार साबित हो गया | पिताजी बहुत नाराज हुऐ और मेरी खूब मरम्मम की | मैं दर्द व अपमान से अपना सा मुंह लिये मां की गोद मे भाग गया और कई दिन तक मेरे दर्द करते हुए छोटे से बदन पर क्रीम और मरहम लगाये गये | मैं समझता हूं मेरे दिल ने यही कहा होगा कि सजा तो तुझे वाजिब ही मिली है, मगर थी जरूरत से ज्यादा |”

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