भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रमुख स्थान है, यह महात्मा गाँधी जी के द्वारा चलाया गया था | इस आंदोलन को 9 अगस्त 1942 को शुरू किया गया था | उस समय द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य भारत से ब्रिटेन के साम्राज्य को समाप्त करना था | इस आंदोलन के गंभीर परिणाम हुए जिससे ब्रिटेन ने भारत को स्वतंत्र करने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी | सरकारी आँकड़ों के अनुसार इस आंदोलन में 940 लोग मारे गये, 1630 लोग घायल हुए, 18000 लोग नजरबन्द किये गए थे तथा 60229 लोग गिरफ्तार किये गए थे | यह आकड़े दिल्ली की सेण्ट्रल असेम्बली में ऑनरेबुल होम मेम्बर ने के द्वारा उपलब्ध कराये गए थे | भारत छोड़ो आंदोलन क्या था ये नारा किसने दिया था और इस आन्दोलन के महत्व से सम्बंधित जानकारी आपको इस पेज पर विस्तार से दे रहे है |
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भारत छोड़ो आंदोलन नारा किसने दिया था ?
भारत छोड़ो आंदोलन भारत का सबसे प्रसिद्ध नारा है, इसको सबसे पहले युसुफ मेहर अली ने दिया था | यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे | इनका जन्म 23 सितंबर 1903 को हुआ था | आंदोलन के समय वह 8 बार जेल गए थे | वर्ष 1942 में वह जेल में बंद थे, इसके बावजूद उन्हें बम्बई का मेयर चुना गया था | जिससे इनकी लोकप्रियता के विषय में जानकारी प्राप्त होती है |
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व
इस आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय काँग्रेस में प्रस्ताव पारित करके किया गया था | इसका महत्व इस प्रकार है-
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मूल सिद्धांत
भारत छोड़ो आंदोलन एक जनांदोलन था | इसमें लाखों भारतीय सम्मिलित हुए, जिसमें युवाओं की संख्या सबसे अधिक थी | इसमें उन्होंने कॉलेज को छोड़ कर जेल का मार्ग अपनाया था | जिस समय कांग्रेस के सभी प्रभावशाली नेता जेल में बंद उस समय जिन्ना तथा मुस्लिम लीग अपना प्रभाव बढ़ा रहे थे, जिससे पंजाब और सिंध में उनकी एक अलग पहचान बन गयी थी |
जनता का मत
वर्ष 1946 के प्रारम्भ में प्रांतीय विधान मंडलों का चुनाव कराया गया, जिसमें कांग्रेस को भारी सफ़लता प्राप्त हुई | मुस्लिम आरक्षित सीटों पर मुस्लिम लीग को भारी बहुमत प्राप्त हुआ था | इस आंदोलन के बाद कांग्रेस और मुस्लिम लीग दो महत्वपूर्ण दल बन चुके थे, जिससे राजनीतिक ध्रुवीकरण हो गया था |
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भारत छोडो आन्दोलन का निर्णय
इस आंदोलन में गाँधीजी ने कहा ‘‘इस क्षण तुम में से हर एक को अपने को स्वतन्त्र पुरुष अथवा स्त्री समझना चाहिए और ऐसे आचरण करना चाहिए मानों स्वतन्त्र हो | मैं पूर्ण स्वतन्त्रता से कम किसी चीज से सन्तुष्ट नहीं हो सकता | हम करेंगे अथवा मरेंगे । या तो हम भारत को स्वतंत्र करके रहेंगे या उसके प्रयत्न में प्राण दे देगें ।’’, ‘‘करो या मरो |’’
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इसके बाद लालबहादुर शास्त्री जी ने “मरो नहीं, मारो” का नारा दिया जिससे पूरे देश में इस आंदोलन को एक क्रांति का रूप दे दिया | जिससे इस आंदोलन का प्रचार- प्रसार विदेशों में हो गया | अमेरिका तथा अन्य देश ब्रिटेन पर भारत को आजाद करने का दबाव बनाने लगे, जिससे ब्रिटेन को भारत को विभाजन के साथ आजाद करना पड़ा |
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