Minority (अल्पसंख़्यक) के विषय में जानकारी
किसी भी देश में कई धर्मों के लोग निवास करते है | जिस धर्म के लोगों की संख्या अधिक होती है, वहां की सरकार में उनकी प्रतिभागिता उतनी ही अधिक होती है | प्रतिभागिता अधिक होने से वह अपने अनुसार नियमों का निर्माण करते है, जिससे अन्य धर्मों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | सरकार समय के अनुसार बदलती रहती है, जिससे दूसरे धर्मों को सुरक्षित करने के लिए संविधान में प्रावधान किये जाते है | इसके लिए देश को धर्मनिरपेक्ष होना अतिआवश्यक है | धर्मनिरपेक्ष का अर्थ धार्मिक स्वतंत्रता है | इस पेज पर अल्पसंख़्यक क्या है, इसके लिए संविधान में क्या है प्रावधान के विषय में बताया जा रहा है |

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अल्पसंख़्यक क्या है (What is Minority)?
संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए इस शब्द का अधिक दुरुपयोग होता हुआ दिखाई दे रहा है | भारत में किसी भी राज्य में एक धर्म के लोग अधिक है और दूसरे धर्म के लोग कम होने पर भी कम संख्या के लोगों को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया जाता है | जैसे कश्मीर में हिन्दुओं कि संख्या बहुत ही कम है फिर भी वहां पर हिन्दुओं को अल्पसंख्यक नहीं माना गया है जो कि गलत है |
भारत में मुस्लिम, सिख, बौद्ध, इसाई, पारसी और जैन समुदाय को अल्पसंख्यक माना गया है | इसकी अधिसूचना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा जारी की जाती है, इसी तर्ज पर राज्य में भी अल्पसंख्यक आयोग की शुरुआत की गयी है, लेकिन वर्तमान समय में अभी भी 15 से अधिक राज्यों में इस आयोग को स्थापित नहीं किया गया है, जिस कारण से राज्य के अंदर वास्तविक रूप में अल्पसंख्यकों को सुविधा प्रदान नहीं की जा रही जिसका ज्वलंत उदाहरण जम्मू कश्मीर है |
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संविधान में क्या है प्रावधान (Provision in the Constitution)
- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 29 और 30 में धर्म और भाषा के आधार पर संख्या में कम लोगों के अधिकारों को सुरक्षित किया गया है |
- अनुच्छेद 29(1) में बताया गया है कि ‘किसी भी समुदाय के लोग जो भारत के किसी राज्य मे रहते हैं या कोई क्षेत्र जिसकी अपनी आंचलकि भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उस क्षेत्र को संरक्षित करने का उन्हें पूरा अधिकार होगा । ये प्रावधान जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के अंतर्गत है’ |
- अनुच्छेद 30(1) में बताया गया है कि अल्पसंख्यकों को धर्म या भाषा के आधार पर अपनी पसंद के आधार पर अपनी शैक्षिक संस्था को स्थापित करने का अधिकार है’ |
- संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को विस्तारपूर्वक नहीं बताया गया है |
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