शिवरात्रि से सम्बंधित जानकारी
हिन्दू धर्म में कई ऐसे त्योहार हैं, जो बहुत ही धूमधाम के साथ मनाये जाते है, जिनमे लोग बहुत ही श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना भी करते हैं, इन्ही त्योहारों में एक शिवरात्रि का त्योहार भी है, जिसमे भगवान् शिव की पूजा की जाती है | शिवरात्रि के दिन सभी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखकर भगवान् शिव की पूजा करते है और उन्हें कुछ सामग्री भी अर्पित करते हैं, जिसके बाद ही उनकी पूजा संपन्न मानी जाती है| जो लोग शिवरात्रि का व्रत करते हैं भगवान शिव उनकी हर एक मनोकामना को पूर्ण करते हैं और सदैव उनकी रक्षा करते हैं| इसलिए यदि आप भी शिवरात्रि व्रत कथा के विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको शिवरात्रि का क्या मतलब है, क्यों और कब मनाई जाती है , महत्व , शिवरात्रि पर निबंध | इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है |
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शिवरात्रि का क्या है
इसबार 2020 में महाशिवरात्रि का त्योहार 21 फरवरी को मनाया जाएगा | फाल्गुन महीने में मनाई जाने वाली यह शिवरात्रि साल की आने वाली 12 शिवरात्रियों में से सबसे बड़ी और ख़ास शिवरात्रि मानी जाती है क्योंकि इस शिवरात्रि की मान्यता है कि, फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि सबसे बड़ी शिवरात्रि होती है | इसलिए इस शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है | इस महाशिवरात्रि के दिन भगवान् शिव के मंदिरों में बहुत अधिक भक्तों की भीड़ जमा होती है, क्योंकि इस दिन बहुत भक्त भगवान शिव का व्रत करते है और उन्हें बेल पत्र चढ़ाते हैं और भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं|
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शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
पुराणों के अनुसार, महाशिवरात्रि के मनाने की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं। इस दिन को भगवान शिव के प्रकट होने के रूप में माना जाता है, जब वे शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसी दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने पहली बार शिवलिंग की पूजा की थी। इस घटना के कारण, महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष पूजा और अर्चना की जाती है। साथ ही, मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने महाशिवरात्रि के दिन ही शिवजी के रुद्र रूप को प्रकट किया था।
दूसरी प्रचलित कथा में बताया गया है कि, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ संपन्न था| इसी वजह से अधिकतर स्थानों पर महाशिवरात्रि के तीन दिन पहले से ही मंदिरों को मंडप की तरह सजाया जाता है और मां पार्वती और शिव जी को दूल्हा-दुल्हन बनाकर कई स्थानों पर घुमाया जाता है और महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह कराया जाता है| इसी कथा के चलते माना जाता है कि, यदि कुवांरी कन्याएं महाशिवरात्रि का व्रत करती हैं, तो उनका शादी का संयोग बहुत ही जल्द बन जाता है |
तीसरी प्रचलित कथा में बताया गया है कि, भगवान शिव द्वारा विष पीकर पूरे संसार को इससे बचाने की घटना के उपलक्ष में महाशिवरात्रि का यह त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि सागर मंथन के दौरान जब अमृत के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध चल रहा था, तब अमृत से पहले सागर से कालकूट नाम का विष निकला| ये विष इतना खतरनाक था कि इससे पूरा ब्रह्मांड नष्ट किया जा सकता था, लेकिन इसे सिर्फ भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे| तब भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया, जिसकी वजह से उनका कंठ (गला) नीला पड़ गया था| इस घटना के बाद से भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाने लगा था और उनका नाम नीलकंठ रख दिया गया था|
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शिवरात्रि कब मनाई जाती है
शिवरात्रि का यह पर्व बहुत ही घूमधाम के साथ फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है | इस दिन सभी भक्त भगवान् शिव के मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाते हैं और कई स्थानों पर तो शिव और पार्वती की छवि बनाकर कई पवित्र स्थानों पर ले जाया जाता है और सभी लोग भगवान् शिव के कई भजनो पर जमकर डांस भी करते हैं और अपना यह त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है| इस बार शिवरात्रि का यह त्योहार शुक्रवार 21 फरवरी को मनाया जाएगा |
शिवरात्रि का महत्व
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है और इसके साथ ही इस दिन भवन शिव और पार्वती जी की छवि बनाकर शिव की बारात बहुत ही धूमधाम के साथ निकाली जाती है |
शिवरात्रि पर निबंध
यह भारत में मनाये जाने वाली सभी पर्वों में प्रमुख माना जाता है। इसदिन सभी भक्त भगवान शिव के मंदिर जाते हैं और वे भगवान शिव को औपचारिक स्नान प्रदान करते हैं।
इस दिन सभी भक्त शिव लिंग की पूजा करते हैं, क्योंकि इस दिन शिव लिंग की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है | शिव लिंग को पानी (गंगा का पानी), दूध, शहद, दही, गुलाब का पानी आदि से स्नान कराया जाता है। भगवान शिव को पत्तियां, फलों और मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।इस दिन भगवान शिव को खुश करने के लिए कई भक्त विभिन्न मंत्रों और गीतों का जप भी करते हैं। कई बार बेल पत्र अर्पित करते है |
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मन्त्र और जाप
आप भगवान् शंकर को कई मन्त्रों से खुश कर सकते हैं, ‘ॐ नमः शिवाय’ भगवान शिवजी को प्रसन्न करने का मूल मंत्र है इसके साथ महा मृतुंजय मंत्र एवं गायत्री मंत्र की जाप करने से सभी सांसारिक बंघनों से मुक्त हो जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप जरुर करें
॥ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्॥
॥उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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