चुनावी बांड क्या होता है?

चुनावी बांड से सम्बंधित जानकारी (About Electoral Bonds)

भारत में चुनाव में सभी राजनैतिक दल चुनाव में बहुत अधिक पैसा खर्च करते है| सभी पार्टियाँ चुनाव में होनें वाले सभी प्रकार के व्यय की भुगतान राशि का स्रोत चंदा दिखाती है| सबसे खास बात यह है, कि  उनको यह धन बिना किसी रसीद के दिया जा सकता है| हालाँकि वर्तमान में यह नियम है, कि 20,000 रु. से अधिक का चंदा चेक के माध्यम से दिया जाए, परन्तु बीस हजार से कम राशि वह आसानी स्वीकार कर सकते है| सभी राजनैतिक दल इसका भरपूर लाभ उठाते हैं| इस प्रकार से पार्टियों के पास अवैध अथवा काला धन भारी मात्रा में एकत्र हो जाता है| जिसका कोई लेखा- जोखा नहीं होता है| इसी सन्दर्भ में भारत सरकार ने चंदा आदान-प्रदान की एक नई प्रणाली लागू करने की घोषणा की है, जिसमें सरकार के द्वारा चुनावी बांड (Electoral bond) जारी करने का प्रावधान है| चुनावी बांड क्या होता है, और इसकी शुरुआत कब हुई ? इसके बारें में इस पेज पर विस्तार से बता रहे है|

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चुनावी बांड क्या होता है (What Is Electoral Bond)

केंद्र सरकार नें चुनावों में राजनीतिक दलों के चंदा एकत्र करनें की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से चुनावी बॉन्ड घोषणा की थी| चुनावी बॉन्ड  एक ऐसा बॉन्ड है जिसमें एक करेंसी नोट लिखा रहता है, जिसमें उसकी वैल्यू होती है| इस बॉन्ड का प्रयोग पैसा दान करने के लिए किया जाता है| इस बॉन्ड के माध्यम से कोई भी व्यक्ति किसी संस्था को पैसे दान कर सकता है| इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार रुपए तथा अधिकतम एक करोड़ रुपए होती है| चुनावी बॉन्ड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध हैं|

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चुनावी बांड कौन खरीद सकता है (Who Can Buy Electoral Bonds)

केंद्र सरकार ने चुनावी बांड योजना 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया। इसके अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित संस्था चुनावी बांड खरीद सकती है। चुनावी बांड खरीदने के लिए संबंधित व्यक्ति या संस्था के खाते का केवाइसी वेरिफाइड होना आवश्यक होता है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक पार्टियां तथा पिछले आम चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट प्राप्त करने वाली राजनीतिक पार्टियां इस बांड के माध्यम से धन ले सकती हैं। चुनावी बांड पर बैंक द्वारा किसी प्रकार का ब्याज नहीं दिया जाता है।

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इलेक्टोरल बांड भुनाने की अवधि (Redemption Period Of Electoral Bonds)

इलेक्टोरल बांड या चुनावी बांड खरीदनें के पश्चात यह सिर्फ 15 दिनों तक मान्य रहता है। इसका आशय है, कि इस बांड को खरीदने वालों को 15 दिनों के अंदर ही राजनीतिक दल को देना पड़ता है, और राजनीतिक दलों को भी इन्हीं 15 दिनों के अंदर इसे कैश भी कराना होगा। इन बांड्स को 1000, 10000, 1 लाख, 10 लाख तथा 1 करोड़ रुपये की राशि के रूप में जारी किया जाता है। नकद राजनीतिक चंदे की अधिकतम सीमा 2000 रुपये निश्चित की गयी है, इससे अधिक की राशि को चुनावी बांड के द्वारा ही देना होगा।

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चुनावी बांड से सम्बंधित अहम बातें (Important Things Related To Electoral Bonds)

  • जिनके खाते का केवाईसी वेरिफाइड होगा सिर्फ वही चुनावी बांड खरीद सकते हैं|
  • चंदा देने वाले लोग इन बांड्स को अपनी पसंद की पार्टी को बांड खरीदने के 15 दिन के अन्दर ही देना होगा|
  • राजनैतिक पार्टी इस बांड को बैंक में वेरिफाइड एकाउंट के माध्यम से कैश कराएगी| बांड पर चंदा देने वाले का नाम नहीं होगा और इसकी डिटेल्स सिर्फ बैंक के पास रहेगी|
  • पार्टियों को बांड एकत्र करने के लिए बैंक में अपना खाता खोलना होगा और इसे चुनाव आयोग से वेरिफाई कराना होगा|
  • केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, हर तिमाही की शुरुआत में 10 दिनों तक बांड खरीदे जा सकते हैं|
  • चुनावी बांड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के शुरुआती 10 दिन में खरीदे जा सकते हैं|
  • लोकसभा चुनाव वाले वर्ष में अतिरिक्त 30 दिनों तक बांड उपलब्ध रहेंगे| हालांकि यह 30 दिनों की यह अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी|
  • चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के नाम गोपनीय रखा जाएगा, बैंक इन बांड्स पर कोई ब्याज नहीं देता है|

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यहाँ पर हमनें चुनावी बांड (Electoral Bond) के बारें में बताया| यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है,  हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |

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