जमीन या घर की रजिस्ट्री कैसे कराये – जाने सारे नियम

जमीन या घर की रजिस्ट्री कैसे कराये 

किसी भी व्यक्ति के लिए जमीन या घर की रजिस्ट्री करवाना बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य होता हैं, जिससे वह उस जमीन या घर का वैध रूप से मालिक बन जाता है | जमीन या घर को खरीदना यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसकी जानकारी व्यक्ति को होनी अनिवार्य है, अन्यथा वह धोखा भी खा सकते है, इसके लिए आपको लैंड रूल, स्टाम्प ड्यूटी, पंजीकरण इत्यादि के नियम की जानकारी होना अनिवार्य है, इस पेज पर जमीन या घर की रजिस्ट्री के विषय में विस्तार से जानकरी प्रदान की जा रही है |

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स्टाम्प ड्यूटी क्या हैं ?

स्टाम्प ड्यूटी एक प्रकार का टैक्स हैं, जो जमीन या घर खरीदने के समय हमें देना होता है | यह सेल डीड, गिफ्ट डीड, पार्टीशन डीड, कवेयन्स डीड, पावर ऑफ़ अटॉर्नी एंड लीज डीड जैसे डाक्यूमेंट्स पर स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाता है।

प्रॉपर्टी को खरीदने या प्रोपर्टी ट्रान्सफर करने पर स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान किया जाता है | स्टाम्प ड्यूटी का शुल्क प्रॉपर्टी के मूल्य का प्रतिशत होता है | स्टाम्प ड्यूटी शुल्क और पंजीकरण शुल्क राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है | प्रत्येक राज्य के लिए यह अलग-अलग निर्धारित रहता है | बड़े शहरों में स्टाम्प ड्यूटी शुल्क अधिक रहता है | स्टाम्प ड्यूटी शुल्क सर्किल रेट पर निर्धारित रहता है |

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पंजीकरण

  • किसी भी प्रॉपर्टी पर स्टाम्प का भुगतान करने के पश्चात प्रॉपर्टी को भारतीय पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर करवाना होता हैं
  • यह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को उस स्थान के उप-रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत संपन्न किया जाता है
  • सरकार का रजिस्ट्रेशन करने का उद्देश्य डाक्यूमेंट्स को रिकॉर्ड रखना होता है, जब तक प्रॉपर्टी क्रेता या विक्रेता के नाम पर सरकार के पास रजिस्टर नहीं होती तब तक क्रेता या विक्रेता उस प्रॉपर्टी के वैध मालिक नहीं होते है
  • रजिस्ट्रेशन की एक मूल प्रतिलिपि रजिस्ट्रार के पास सुरक्षित रखी जाती है, जिससे विवाद के समय वह काम में आ सके

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जमीन या घर की रजिस्ट्री प्रक्रिया

स्टेप 1. सर्वप्रथम आपको अपने क्षेत्र के अनुसार अपनी प्रॉपर्टी का वैल्यूएशन करवाना होगा |

स्टेप 2. इसके बाद आप प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए जितना मूल्य दिया है, उसकी तुलना Step-1 में की गयी वैल्यूएशन से करनी होगी |

स्टेप 3. अब वैल्यूएशन और खरीद मूल्य दोनों में से जो अधिक होगा उस पर स्टाम्प ड्यूटी लगायी जाएगी, स्टाम्प ड्यूटी शुल्क राज्य में स्टाम्प दरों के अनुसार तय की जाती है |

स्टेप 4. आपकी प्रॉपर्टी पर जितनी स्टाम्प ड्यूटी शुल्क तय होगा आपको उतने मूल्य के गैर-न्यायिक (नॉन-जुडिशल) स्टाम्प पेपर खरीदने पड़ेंगे |

स्टेप 5. आप ई-स्टाम्प पेपर ऑनलाइन www.shcilestamp.com से इसे खरीद सकते है या आप लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेताओं से भी स्टाम्प पेपर खरीद सकते हैं |

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स्टेप 6. स्टाम्प पेपर ख़रीदने के पश्चात आप विक्रय-अनुबंध( सेल डीड) प्रिंट करवानी होगी | यदि किसी अन्य प्रकार का लेन-देन है जैसे  गिफ्ट, लीज या मॉर्गेज तो आपको उसी प्रकार का अनुबंध प्रिंट करवाना होगा |

स्टेप 7. अनुबंध प्रिंट होने के पश्चात आपको सब-रजिस्टार के पास जाकर सभी डॉक्यूमेंट की रजिस्ट्री करवानी होगी, इसके अतिरिक्त आपको दो गवाह भी ले जाने होंगे, जो इसकी गवाही देंगे | दोनों गवाहों के पहचान पत्र और फोटो भी साथ में रखे जायेंगे |

स्टेप 8. कुछ दिन के पश्चात आपको रजिस्ट्रार ऑफिस से पंजीकृत ओरिजिनल विक्रय-अनुबंध अथार्त  रजिस्ट्री प्रदान कर दी जाएगी |

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