स्पीड पोस्ट ट्रैकिंग, मनी आर्डर ट्रैकिंग कैसे करे

वर्तमान में हम तकनीक के युग में जी रहे हैं। इस दौर में हम कहीं भी बैठे हुए दुनिया के किसी भी कोने में बैठे किसी दूसरे व्यक्ति से चंद मिनटों में संपर्क कर सकते हैं, उससे कॉल या विडियो कॉल के जरिए बात कर सकते हैं। साथ ही यदि किसी को पैसों की जरूरत हो तो तुरंत संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते में सीधे पैसा भेज सकते हैं।

लेकिन यह इस दौर की बात है, जब तकनीक विकसित नहीं थी तब ऐसा सोचना भी असंभव था। लोग पहले एक-दूसरे के हाल-चाल जानने के लिए एक-दूसरे के घर आया जाया करते थे। या कोई बहुत दूर रहता है तो चिट्ठियों के द्वारा बातें होती थीं और हाल-चाल पूछे जाते थे। जितनी ज्यादा दूरी होती थी संदेश पहुंचाने में भी उतना ही समय लगता था और उस चिठ्ठी का प्रत्युत्तर आने में भी उतना ही समय लग जाता था। इस प्रक्रिया में कई-कई दिन तो कई बार महीने भी लग जाते थे।

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भारतीय डाक प्रणाली का संक्षिप्त इतिहास- 

चिट्ठियों को पहुंचाने का कार्य भारतीय डाक विभाग द्वारा किया जाता था। भारतीय डाक व्यवस्था प्रणाली बहुत पुरानी है और इसकी स्थापना अंग्रेजों के काल में की गई थी। अंग्रेजों ने इस प्रणाली को अपने फायदों के लिए शुरू किया था। क्योंकि अंग्रेज भारत में व्यापार करते थे और इसके लिए उन्हें पोस्टल सेवाओं की आवश्यकता थी। लेकिन भारत की आजादी के बाद भारत सरकार ने इस प्रणाली को और भी सुदृढ़ बना दिया। 

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भारतीय डाक सेवाओं की स्थापना लगभग 170 साल पहले 1 अप्रैल 1854 को हुई थी, लेकिन आधिकारिक स्थापना 1 अक्टूबर 1854 से मानी जाती है। उस समय के भारतीय वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने इस सेवा का भार संभाला था। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आने वाले 701 डाकघरों को मिलाकर भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई।

हालांकि 1854 से पहले लॉर्ड क्लाइव ने अपने स्तर पर 1766 में ही भारत में डाक व्यवस्था को शुरू कर दिया था। इसके पश्चात् बंगाल के तत्कालीन गवर्नर रहे वॉरेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1774 में कोलकाता में एक प्रधान डाकघर की स्थापना की थी। इसका इस्तेमाल अंग्रेजों के द्वारा किया जाता था।

लेकिन भारत की आजादी के बाद भारत सरकार ने इस प्रणाली को और भी सुदृढ़ बना दिया। आजादी के बाद सरकार ने डाक सेवाओं को आदमी आदमियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपडेट किया और पहले से बेहतर कर दिया। वर्तमान में भारतीय डाक प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी डाक प्रणाली है। 

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आधुनिक भारतीय पोस्ट सेवाएं

वर्तमान समय में भारतीय डाक सेवा द्वारा बहुत सी नई सुविधाओं का आरंभ किया गया है। वर्तमान समय में भारतीय पोस्ट के लगभग 1,50,000 से भी अधिक डाकघर खोले जा चुके हैं। 

इंडियन पोस्टल सर्विसेज़ द्वारा अपने ग्राहकों तक उनके पोस्ट, जरूरी कार्य पत्र, स्पीड पोस्ट तथा पार्सल एक स्थान से दूसरे स्थान पर तेजी से पहुंचाने के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन बहुत बार ऐसा भी होता है कि आपके द्वारा भेजे गए पार्सल, स्पीड पोस्ट, मनी ऑर्डर आदि समय से नहीं पहुंच पाते हैं। इसके लिए भारतीय डाक सेवा द्वारा स्पीड पोस्ट ट्रैकिंग की सुविधा भी प्रदान की गई है। 

इस लेख में हम आपको स्पीड पोस्ट की कैसे ट्रैकिंग की जाए इस बात की जानकारी दे रहे हैं। 

स्पीड पोस्ट सेवाओं की शुरुआत आधिकारिक रूप से 1 अगस्त 1986 को की गई थी। इस सेवा का उद्देश्य ग्राहकों के चिट्ठियों, पत्रों, जरूरी दस्तावेजों और पार्सल को एक समयावधि के भीतर पहुंचाना है। इस सेवा का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यदि डिलीवरी बताई गई समयावधि के भीतर नहीं होती है तो पूरा डाक शुल्क ग्राहक को वापस कर दिया जाता है। स्पीड पोस्ट के नेटवर्क की बात की जाए तो इसमें 163 राष्ट्रीय स्पीड पोस्ट केंद्र, 953 राज्य स्पीड पोस्ट केंद्र शामिल हैं। यह सेवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 97 देशों में उपलब्ध है। 

स्पीड पोस्ट की ट्रैकिंग करने के लिए इंटरनेट आधारित ट्रैक एंड ट्रेस सर्विस स्पीड नेट की शुरुआत 3 जनवरी 2002 को की गई थी। यह सुविधा ग्राहकों को स्पीड पोस्ट किए पत्रों, चिठ्ठियों, पार्सलों आदि की ट्रैकिंग की सुविधा देती है अर्थात् पार्सल कहां तक पहुंच चुका है यह आप अपने मोबाइल के द्वारा जान सकते हैं। ट्रैकिंग की सुविधा के अलावा यह सेवाओं की गुणवत्ता, व्यापार कार्य सेवा, ग्राहक सेवा आदि के बारे में भी सूचना प्रदान करती है। वर्तमान में यह सुविधा 315 राष्ट्रीय और 857 राज्य स्पीड पोस्ट सेंटर्स पर प्रदान की जा रही है।

जब भी स्पीड पोस्ट के माध्यम से कोई भी चिठ्ठी, दस्तावेज़, मनी ऑर्डर, पार्सल या अन्य कोई सामान आदि अपने किसी परिचित के पास भेजते हैं तो स्पीड पोस्ट केंद्र की ओर से हमें एक कन्साइनमेंट नंबर (Consignment Number) दिया जाता है। यह कन्साइनमेंट नंबर बहुत जरूरी होता है। इसी नंबर से ही हम अपने भेजे गए वस्तु, मनीऑर्डर, पार्सल आदि की ट्रैकिंग कर सकते हैं। 

स्पीड पोस्ट, मनी आर्डर ट्रैकिंग स्टेप्स

  • स्पीड पोस्ट और मनी ऑर्डर ट्रैक करने के लिए हमें सबसे पहले कन्साइनमेंट नंबर के बारे में पता होना चाहिए। यह कन्साइनमेंट नंबर आपको मनी ऑर्डर या स्पीड पोस्ट पार्सल भेजते वक्त स्पीड पोस्ट सेंटर द्वारा प्रदान किया जाता है। यदि आपको यह नंबर नहीं पता है तो आप ट्रैकिंग नहीं कर पाएंगे।
  • यदि आपको कन्साइनमेंट नंबर पता है तो आपको इंडिया पोस्ट की आधिकारिक वेबसाइट – https://www.indiapost.gov.in/vas/Pages/IndiaPostHome.aspx पर जाना होगा।
  • जैसे ही वेबसाइट ओपन होगी आपको यहां Track and Trace का ऑप्शन देखने को मिलेगा। इसके नीचे आपको दो ऑप्शन – Consignment और Complaint दिखाई देंगे। इनमें से आपको Consignment का ऑप्शन चुनना है।
  • Consignment का ऑप्शन चुनने के बाद आपको नीचे दिए गए बॉक्स में Consignment Number दर्ज कर देना है। 
  • इसके बाद आपको Captcha कोड भरना है और Track Now के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है। 
  • इसके बाद आपको अपने पार्सल या मनी ऑर्डर से संबंधित सभी जानकारियां मिल जाएंगी। आप इसमें देख सकते हैं ही आपने पार्सल कितनी तारीख को लगाया था और अभी इस वक्त पार्सल या आपका मनी ऑर्डर कहां तक पहुंच गया है और मंजिल पर पहुंचने में इसे कितना समय लगेगा।

निष्कर्ष –

इस लेख में हमने आपको भारतीय डाक प्रणाली के इतिहास से रूबरू करवाया और जानकारी दी की भारतीय डाक प्रणाली किस प्रकार कार्य करती है। साथ ही आपको इस लेख में स्पीड पोस्ट क्या होती है और यह कैसे कार्य करती है। भारत में कितने स्पीड पोस्ट केंद्र है आदि के बारे में पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी।

साथ ही आपको स्पीड पोस्ट की ट्रैकिंग किस प्रकार करनी है यह भी आपको लेख में स्टेप बाई स्टेप बताया गया है। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। ऐसी ही जरूरी जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़े रहिए। यदि आपके मन में इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न आ रहा है तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमसे पूछ सकते हैं। यदि आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो भी कमेंट बॉक्स के माध्यम से सुझाव दे सकते हैं। आपके सुझाव हमारे लिए अनमोल हैं, हमे आपके सुझावों का इंतजार रहेगा।