डेथ वारंट (Execution Warrant) से संबंधित जानकारी
भारत के संविधान में देश की व्यवस्था को चलाने के लिए बहुत सारे नियम – कानून बनाये है, इसी तरह देश की न्यायिक व्यवस्था को चलाने के लिए अदालतें बनाई गई | इन अदालतों में संविधान द्वारा लिखित विभिन्न धाराओं के अनुसार, किसी भी आपराधिक घटना के मामलों के निपटारा हेतु, न्यायिक प्रक्रिया चलाई जाती है, इस प्रक्रिया के पूरी होने के पश्चात, अदालत द्वारा फैसला सुनाने के साथ ही सजा भी मुकम्मल की जाती है | इन मामलों में कुछ आपराधिक घटनाये संगीन होती है, जिसके लिए कोर्ट कड़े निर्णय देती है | इसी तरह कड़े निर्णयों के लिए मुकम्मल की गई फांसी की सजा के बारे में यानि कि डेथ वारंट (Execution Warrant) क्या होता है, इसके बारे में जानकारी दी जा रही है |
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डेथ वारंट (Execution Warrant) क्या होता है
देश की कानूनी व्यवस्था के चलते कुछ संगीन मामलों के लिए, डेथ वारंट (Execution Warrant) जारी किया जाता है, जिसके लिए सजा के तौर पर फांसी दी जाती है | अगर देखा जाये तो कानून व्यवस्था की यह सबसे कठोर सजा मानी जाती है | अब अगर कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक बात की जाए तो कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर-1973, यानी दंड प्रक्रिया संहिता- 1973 (CrPC) के तहत कुल फॉर्म्स की संख्या 56 होती हैं | अब इनमे से फॉर्म संख्या – 42 को डेथ वारंट (Execution Warrant) कहा जाता है | जिसके ऊपर, ‘वारंट ऑफ एक्जेक्यूशन ऑफ सेंटेंस ऑफ डेथ’ लिखा होता है | इसके अलावा इसे ब्लैक वारंट (Black warrant) के नाम से भी जानते हैं | न्यायिक प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही यह वारंट जारी किया जाता है जिसके उपरांत ही किसी व्यक्ति को फांसी दी जाती है |
डेथ वारंट का नियम
डेथ वारंट फॉर्म में जेल का नंबर, फांसी दिए जाने वाले सभी कैदियों के नाम और उनकी संख्या, केस संख्या, डेथ वारंट जारी किये जाने की तारीख, फांसी पर चढ़ाएं जाने की तारीख और समय के साथ – साथ स्थान की जानकारी के साथ अन्य भी कुछ जानकारी लिखी होती है |
इसके अलावा इस वारंट में “कैदी को फांसी पर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए” ऐसा भी लिखा होता है | अदालत द्वारा जारी किया जाने वाला डेथ वारंट सीधा जेल प्रशासन के पास पहुंचता है | फांसी की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद कैदी की मृत्यु से जुड़े प्रमाण – पत्र (Certificate) वापस कोर्ट को भेज दिए जाते हैं | इसके साथ ही डेथ वारंट (Execution Warrant) भी वापस किया जाता है |
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कैदी के लिए डेथ वारंट के प्रावधान
डेथ वारंट प्रक्रिया में कुछ प्रावधान अपराधी के लिए भी बनाये गए है, जिनकी जानकारी इस प्रकार से दी जा रही है –
- किसी भी अपराधी को मृत्यु वारंट कार्यवाही की पूर्व सूचना देना अनिवार्य किया गया है |
- डेथ वारंट (Execution Warrant) में फांसी की तिथि और उसका सटीक समय को लिखा गया हो | वारंट पर जज के हस्ताक्षर होने के साथ उसके निष्पादन की तिथि के बीच उचित समय होना जरूरी होगा, जिससे अपराधी कैदी अपने परिवार के लोगों से मिल सके, और इसके अलावा अपने पास बचे कानूनी उपायों का पालन कर सके |
- जारी किये गए वारंट की एक प्रति उसके पास उपलब्ध कराई जाती है |
- इसके अलावा अपराधी के पास बचे कानूनी विकल्पों के लिए सहायता प्रदान करने का प्रावधान है।
- फांसी की सजा प्राप्त करने वाले मुरजिम को शारीरिक और मानसिक स्वस्थ्य होना भी जरूरी होगा, यदि ऐसा नहीं है तो फांसी नहीं दी जाएगी |
- फांसी दिए जाने से पूर्व जेल का अधिकारी इस बात को लेकर संतुष्ट होना चाहिए कि अपराधी पूर्ण स्वस्थ है।
- ऐसे अपराधी से किसी भी प्रकार का कोई काम/श्रम नहीं करवाने का नियम है, और उसके स्वास्थ्य का निरिक्षण दिन में 2 बार करना जरूरी होगा।
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