आईपीसी की धारा 420 क्या है

आईपीसी की धारा 420 में सजा और जमानत का प्रावधान 

भारत में कानून का राज्य स्थापित करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार कानून का निर्माण करती है, इसे भारतीय दंड संहिता के नाम से जाना जाता है, भारतीय दंड संहिता में कई कानून है, जिन्हें पहचान के लिए एक क्रमांक प्रदान किया गया है, इस क्रमांक को धारा कहते है,  इसी प्रकार आईपीसी धारा 420 का निर्माण किया गया है | यह धारा मुख्य रूप से किसी व्यक्ति को छल-कपट पूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित कर आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, संपत्ति या ख्याति संबंधी क्षति पहुंचाने के विषय को सम्मिलित किया गया है | इस पेज पर आईपीसी की धारा 420 क्या है, इसमें सजा और जमानत का प्रावधान के विषय में आपको बताया जा रहा है |

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जमानत का प्रावधान (Provision of security)

किसी भी अभियुक्त को जेल से छुड़ाने के लिए न्यायालय के सामने जो धनराशि जमा की जाती है या देने की प्रतिज्ञा ली जाती है, उस राशि को बॉन्ड के रूप में भरा जाता है, इसे ही जमानत कहा जाता है |

यदि किसी व्यक्ति को धारा 420 के अंतर्गत गिरफ्तार किया जाता है, तो वह सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है | न्यायाधीश द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के उपरांत अभियुक्त को जमानत प्रदान कर दी जाएगी | अभी तक जमानत के लिए कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है | यह लेनदेन की प्रकृति और आरोपों की गंभीरता पर निर्भर करता है |

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जिन जमानती प्रावधानों में 10 वर्ष की कारावास की संभावना होती है, उन्हें जांच एजेंसी को 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है। इस अवधि में चार्जशीट नहीं जमा की जाती, तो अभियुक्त को जमानत मिलती है। अगर कोई धारा 10 वर्ष से कम सजा प्रदान करती है, तो जाँच एजेंसी को 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है, वरना अभियुक्त को जमानत मिलती है। जमानत के प्रक्रिया के दौरान, न्यायाधीश अभियुक्त की गहन जाँच करते हैं, जिसके आधार पर निर्णय लिया जाता है।

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यहाँ हमने आपको धारा 420 के बारे में जानकारी प्रदान की है। अगर आपके मन में इस संबंध में कोई प्रश्न है या अन्य कोई जानकारी चाहिए, तो कृपया कमेंट बॉक्स का उपयोग करें। हम आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव का इंतजार कर रहे हैं।

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