सीबीसीएस सिस्टम क्या है

सीबीसीएस सिस्टम से सम्बन्धित जानकारी

भारत में शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में, देश अभी भी कदम नहीं उठा है। पीछे नजर आता है। यही वजह है कि राष्ट्रीय उच्च शिक्षा मूल्यांकन परिषद द्वारा जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में 68 प्रतिशत विश्वविद्यालयों और 90 प्रतिशत कॉलेजों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता या तो मध्यम दर्जे की है या फिर दोषपूर्ण पाई गई है। क्योंकि इन संस्थानों के लगभग 75 प्रतिशत डिग्रीधारी छात्र बेरोजगार की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर हम भारत के अतरिक्त दुनिया के अन्य विकसित देशों की बात करे तो वह देश अपनी उच्च शिक्षा पर कुल बजट का नौ से दस प्रतिशत तक व्यय कर रहे हैं, और भारत में राष्ट्रीय आय का महज एक प्रतिशत से भी कम उच्च शिक्षा पर खर्च हो रहा है। इस सबको देखते हुए सरकार ने “सीबीसीएस सिस्टम” लागू किया है, जिससे देश में शिक्षा व्यवस्था को ठीक किया जा सके। यदि आप भी सीबीसीएस सिस्टम क्या है, सीबीसीएस (CBCS) का फुल फॉर्म क्या होता है, इसकी कार्य पद्धति क्या है इसकी गणना कैसे होती है, इसके बारे में जानकारी दी जा रही है।

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सीबीसीएस सिस्टम

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानि कि यूजीसी के द्वारा सभी विश्वविद्यालयों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू कर दिया गया है, सभी विश्वविद्यालय इसे लागू करते जा रहे है। यूजीसी द्वारा माना गया है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की परफारमेंस सुधार आया है।  विदेशों में सीबीसीएस सिस्टम पहले से ही लागू है।  इस सिस्टम के अंतर्गत छात्रों के पास निर्धारित पाठ्यक्रमों को चयन करने के विकल्प मौजूद होते है, जिसको मूल, निर्वाचित या मामूली या मृदु कौशल पाठ्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया गया है और जिसे वह अपने मन मुताबिक सीख सकते हैं | 

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यह पूरी प्रक्रिया मूल्यांकन क्रेडिट आधारित प्रणाली पर यानि कि सीबीसीएस सिस्टम पर आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना होता है, ताकि भारत और विकसित देशों की उच्च शिक्षा के विकास में साथ-साथ आधुनिकता विद्द्मान रहे। सीबीसीएस सिस्टम का उद्देश्य शिक्षा में उदारीकरण और वैश्वीकरण को एक साथ बनाए रखने हेतु, पाठ्यक्रम को भी पुनः परिभाषित किया गया है। जिसे हम विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली या सीबीसीएस सिस्टम कहते है |

सीबीसीएस (CBCS) का फुल फॉर्म

सीबीसीएस (CBCS) का फुल फॉर्म “Choice Based Credit System” होता है जिसका अंग्रेजी में उच्चारण ‘चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम‘ है तथा हिंदी में CBCS का अर्थ तथा फुल फॉर्म – “विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली” होता है | अब च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) के तहत अब कोई भी स्टूडेंट अपने कोर्स में से कुछ विषय हटाकर अन्य स्ट्रीम के अपने पसंदीदा एक या दो विषयों को चुनने का नियम है |

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सीबीसीएस सिस्टम की कार्य पद्धति क्या है

CBCS सिस्टम के अंतर्गत देश हो या फिर विदेश, किसी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाये जाने वाले किसी भी विषय का चुनाव करने का ऑप्शन होता हैं। जैसे क़ि आप भारत के किसी भी शहर से दिल्ली, जयपुर, भोपाल, मुंबई, लखनऊ से ही अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे देशों की किसी भी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने का विकल्प होता हैं।

इसके तहत मूल्यांकन सेमेस्टर के मुताबिक किया जाता है। इसके अंतर्गत स्टूडेंट विज्ञान, कला, वाणिज्य के लिए तीन साल और इंजीनियरिंग (Engineering) के लिए चार साल के सिलेबस के बजाय सीबीसीएस सिलेबस के आधार पर प्रगति करता है। सभी सेमेस्टर में 15 से 18 सप्ताह शैक्षणिक कार्य होता है, जो लगभग 90 शिक्षण दिवस का होता है। 

इसके अंतर्गत स्टूडेंट्स को माइग्रेशन, ट्रांसफर आदि में कोई समस्या नहीं होती है। इस व्यवस्था के तहत छात्रों की ओवरऑल रैंकिंग की जाती है। विश्वविद्यालयों में सीबीसीएस सिस्टम लागू होने से पाठ्यक्रम व शिक्षा के स्तर में उच्च सुधार की उम्मीद जताई गई है।

यदि किसी छात्र को किसी कारणवश अध्ययन का भार सहन करने में असमर्थता होती है या फिर वह बीमार हो जाता है, तो क्रेडिट हस्तांतरण का नियम उसे अगले सेमेस्टर में अपने क्रेडिट पूरे करने की अनुमति देता है।

सीबीसीएस सिस्टम के तहत स्कॉलरशिप का निरंतर मूल्यांकन न केवल शिक्षकों द्वारा बल्कि छात्रों द्वारा स्वयं भी किये जाने का प्रावधान है।

सीबीसीएस सिस्टम में सभी परास्नातक पाठ्यक्रम कुल 100 क्रेडिट का कराया जायेगा, जो चार समेस्टरों में सामान रूप से विभाजित करके प्रति समेस्टर 25 क्रेडिट का बनाया गया है।

सीबीसीएस सिस्टम की ग्रेडिंग

यूजीसी द्वारा सीबीसीएस सिस्टम के लिए 10-अंकों की ग्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत की गई है, जिसका विवरण इस प्रकार दिया गया है-

  1. (सर्वोत्तम): 10
  2. A+ (अति उत्कृष्ट): 9
  3. A (बहुत अच्छा): 8
  4. B+ (अच्छा): 7
  5. B (औसत से ऊपर): 6
  6. C (औसतन): 5
  7. P (पास): 4
  8. F (अनउत्तीर्ण): 0
  9. AB (अनुपस्थित): 0

सीबीसीएस सिस्टम के क्रेडिट की गणना

इसकी गणना के नियमानुसार, एक क्रेडिट प्रति सेमेस्टर के एक घंटे के शिक्षण के बराबर माना गया  है, जिसमें व्याख्यान (L) या शिक्षण (T) या व्यावहारिक कार्य या क्षेत्र कार्य (P) प्रति सप्ताह दो घंटे इसमें शामिल हैं। इसके अध्ययन में नियमानुसार पाठ्यक्रम में केवल एल घटक या केवल टी या पी घटक या दो या तीन सभी घटकों का संयोजन भी किया जा सकता है। हर एक सेमेस्टर में स्टूडेंट  एल+टी+पी कुल क्रेडिट यानि कि सभी क्रेडिट प्राप्त एक साथ प्राप्त कर सकता है

यहाँ पर हमनें ‘सीबीसीएस सिस्टम’ के विषय में जानकारी दी| यदि आपको इस जानकारी से सम्बंधित मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है | अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पोर्टल kaiseinhindi.com पर विजिट करते रहे|

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