पासपोर्ट अधिनियम (The Passports Act) क्या है

विदेशों में किसी देश के नागरिकों की नागरिकता और पहचान साबित करने के लिए पासपोर्ट एक बड़ा दस्तावेज के तौर पर काम करता है । सभी देश द्वार अपने नागरिकों को भिन्न – भिन्न प्रकार के पासपोर्ट दिए जाते हैं । पासपोर्ट के माध्यम से नागरिक विश्व भर में अलग-अलग देशों की यात्रा करते हैं । इस तरह के यात्रा दस्तावेज या पासपोर्ट का निर्धारण भारत में भी किया गया है ।  भारत सरकार के माध्यम से दी जाने वाली पासपोर्ट के जरिये से भारत के नागरिकों को एवं भारत के बाहर रह रहे भारत के नागरिकों को पहचान मिलती है ।

यह पहचान सभी देशों में उन लोगों को मिलती है जो विश्व के भिन्न – भिन्न देशों में जाते हैं । जो लोग देश से बाहर जाते हैं तो उनके लिए पासपोर्ट नितांत महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, इस दस्तावेज को विश्व में सभी देशों द्वारा बहुत सावधानी के पश्चात दिया जाता है । पासपोर्ट से संबंधित सारी सावधानियों को भारत में भी देखा जाता है ।

भारतीय संसद में सन 1967 में पासपोर्ट संबंधित विधानों / कानूनों को बनाया गया है । इस विधानों / कानूनों में पासपोर्ट अधिनियम 1967 है । यह केंद्रीय नियम / कानून है जो भारत की संसद के माध्यम से निर्माण किया गया है इसका विस्तार पूरे भारत में है । भारत के उन लोगों पर भी पारित है जो भारत से बाहर रह रहे हैं । यह अधिनियम भारत के नागरिकों तथा अन्य व्यक्तियों के भारत से बाहर जाने पर रोकने के लिए पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेज दिए जाने का और उनसे अनुषांगिक या संबंध विषयों का संयोग करने के मकसद से बनाया जाता है ।

ADVERTISEMENT विज्ञापन

क्या कोई ऐसा व्यक्ति जो अधिवक्ता नहीं है, न्यायालय में किसी केस की पैरवी कर सकता है? 

पासपोर्ट के प्रकार

अधिनियम की धारा 4 के तहत निम्न प्रकार के पासपोर्ट जारी कर सकते हैं

साधारण पासपोर्ट

साधारण पासपोर्ट वह पासपोर्ट है जो देश के नागरिकों को साधारण तौर पर जारी किया जाता है। इस पासपोर्ट को जारी करने की प्रक्रिया समय-समय पर विहित की गई प्रक्रिया होती है ।

ADVERTISEMENT विज्ञापन

शासकीय पासपोर्ट

इस प्रकार के पासपोर्ट अधिकांश सरकारी कार्यों को करते समय शासकीय अधिकारियों को जारी किए जाते हैं ।

राजनयिक पासपोर्ट

यह पासपोर्ट अन्य देशों के राजनयिक एवं राजदूतों को जारी किए जाते हैं ।

पासपोर्ट अधिकारी

अधिनियम की धारा 2 (ग) के अंतर्गत पासपोर्ट अधिकारी से ऐसा अधिकार प्राप्त व्यक्ति या अधिकारी अभिप्रेरित है, जिसे पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज दिए जाने के लिए उन नियमों / कानूनों के तहत सशक्त किया जाता है जो इस अधिनियम के तहत बनाए जाएं और इसके तहत भारत सरकार भी है ।

ADVERTISEMENT विज्ञापन

जिसे इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के तहत भारत सरकार के माध्यम से नियुक्त किया जाएगा वह व्यक्ति पासपोर्ट अधिकारी होगा । यह अधिनियम पासपोर्ट अधिकारी पद के जन्म के लिए जननी है । यह भारत सरकार और इस अधिनियम के तहत बने नियमों से सशक्त होता है ।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्या है

पासपोर्ट के आवेदन

अधिनियम की धारा 5 के तहत विदेशों में घूमने के लिए या भारत की सीमा से बाहर जाने के लिए पासपोर्ट देने के लिए पासपोर्ट अधिकारी को आवेदन किया जाता है । उसके साथ वह शुल्क दी जाती है जो पासपोर्ट और अन्य फाइलों को देने में विशेष सुरक्षा,कागज,मुद्रण, पटन और अन्य जुड़े सेवाओं पर ख़र्चों की पूर्ति हो सके । सरकार द्वारा निर्धारित की गई शुल्क की भुगतान करने के पश्चात पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते है ।

आवेदन हो जाने पर पासपोर्ट अधिकारी ऐसी कोई जांच जिसे वह आवश्यक समझता है, कर लेने के पश्चात पासपोर्ट जारी करता है, अगर पासपोर्ट जारी करने से पासपोर्ट अधिकारी द्वारा मना कर दिया जाता है तो वह अपने मना करने के कारणों को अपनी जांच में स्पष्ट करेगा ।

आजीवन कारावास क्या होता है

पासपोर्ट जारी करने से मना करना

पासपोर्ट जारी करने से मना करने के कुछ कारणों को निर्धारित किया जाता है इन कारणों को पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6 में कहा गया है जो निम्न प्रकार है

  • आवेदन करने वाले ऐसे देश में ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना संभव है जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाले हों ।
  • ऐसे देश में आवेदन करने वाले की उपस्थिति भारत की सुरक्षा व्यावस्था के लिए अहितकर हो सकती है या होनी संभव है ।
  • ऐसे देश में आवेदन करने वाले की उपस्थिति से उस या किसी अन्य देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना संभव है ।
  • आवेदन करने वाले कि ऐसे देश में उपस्थिति भारत सरकार की राय में लोकहित में नहीं है ।

पासपोर्ट जारी करने से मना करने के कुछ महत्वपूर्ण कारण

अधिकारी द्वारा पासपोर्ट जारी करने से मना करने के  महत्वपूर्ण कारण भी हो सकते है जो निम्न प्रकार हैं

  • आवेदन करने वाले भारत का नागरिक नहीं है ।
  • आवेदन करने वाले भारत से बाहर ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना संभव है जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाले हो ।
  • आवेदन करने वाले का भारत से बाहर जाने भारत की सुरक्षा व्यावस्था के लिए अहितकर हो सकता है यह होना संभव है । आवेदन करने वाले की भारत से बाहर उपस्थिति से किसी भी देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना संभव है ।
  • आवेदन करने वाले अपने आवेदन की दिनाँक से ठीक पहले की 5 वर्ष की कालावधि के समय किसी भी समय भारत के किसी अदालत द्वारा नैतिक नीचता करने वाले किसी जुर्म के लिए अपराधी सावित किया गया है और उसकी संबंध 2 सालों से कम नहीं के कारावास से दंड किया जाता है ।
  • किसी ऐसे अपराध की संबंध जिसका आवेदन करने वाले के द्वारा किया जाना अभिकथित है । उस जुर्म की कार्यवाही भारत के किसी दंड अदालत के सामने लंबित है ।
  • आवेदन करने वाले की उपस्थिति के लिए कोई वारंट सम्मन या उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारंट किसी तत्समय जारी प्रणाली के तहत किसी अदालत द्वारा जारी किया जाता है । आवेदन करने वाले का भारत से बाहर जाने रोकने का कोई आदेश ऐसे किसी अदालत द्वारा किया जाता है ।
  • आवेदन करने वाले संप्रत्यावर्तित किया जा चुका है उसने उस ख़र्च की प्रतिपूर्ति नहीं की है जो ऐसे संपरिवर्तन के बारे में घटित हुआ है ।
  • आवेदन करने वाले को पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज प्रदान करना भारत सरकार की राय में लोकहित में ना होगा ।

मानहानि का दावा क्या होता है

पासपोर्ट की अवधि

पासपोर्ट की बैधता ऐसे समय तक रह सकता है जिस समय को सरकार द्वारा समय समय पर विहित किया जाता रहे । यदि आवेदन करने वाला चाहे तो भी पासपोर्ट को विहित की गई समय से कम समय के लिए दिया जा सकता है एवं यदि पासपोर्ट अधिकारी को किसी केस में पासपोर्ट को कम समय के लिए जारी करना ज्ञात होता है तो वह ऐसा कर सकता है ।

पासपोर्ट को ज़प्त करना

  • यह इस अधिनियम की विशेष धारा है । अधिनियम की धारा 10 के तहत पासपोर्ट यात्रा दस्तावेजों में उलट–फेर और उनका संलग्न किया जाना और रद्द करना –
  • यह धारा पासपोर्ट अधिकारियों को अधिकार देती है । पासपोर्ट अधिकारियों को यह अधिकार होती है कि वह किसी भी नियम में उलट–फेर कर सकें तथा पासपोर्ट को रद्द कर सके तथा उन्हें जप्त कर सके ।
  • पासपोर्ट अधिकारी पासपोर्ट प्राप्त करने वाले व्यक्ति के आवेदन पर केंद्र सरकार के पहले समर्थन से पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज की शर्तों में उलट–फेर या उन शर्तों को निरस्त भी कर सकेगा ।
  • पासपोर्ट अधिकारी पासपोर्ट निरस्त करना, जप्त करना, संलग्न करना और कराना, कर सकेगा ।

निर्णय, डिक्री और आदेश में अंतर क्या है

जिन कारणों पर वह यह कार्यवाही करेगा वह कारण यह होंगे

  • अगर पासपोर्ट अधिकारी को इस बात का पता हो जाए कि पासपोर्ट यह यात्रा दस्तावेज को प्राप्त करने वाला उसे दोषयुक्त कब्जे में रखे हुए है ।
  • अगर पासपोर्ट यह यात्रा दस्तावेज तात्विक जानकारी को छुपाकर अथवा पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज को  प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा अथवा उसकी तरफ से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी सही न होने के आधार पर अभिप्राप्त किया गया था ।
  • अगर पासपोर्ट अधिकार प्राप्त व्यक्ति ऐसा करना भारत की ईश्वरता और अखंडता भारत की सुरक्षा व्यावस्था या किसी भी देश के साथ भारत के मित्रता पूर्ण संबंधों के हित में या जन समाज के हित में आवश्यक समझे ।
  • अगर पासपोर्ट का यात्रा दस्तावेज दिए जाने के बाद किसी भी समय पासपोर्ट की यात्रा दस्तावेज को प्राप्त करने वाला व्यक्ति भारत में किसी अदालत के माध्यम से नैतिक अधमता करने के किसी जुर्म के लिए दोष सिद्ध किया गया हो उसकी संबंध 2 साल से अधिक के कारावास से दंडित किया गया हो ।
  • अगर किसी ऐसे जुर्म की सम्बन्ध जिसका पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज को प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाना अभिकथित हो कार्यवाही भारत में किसी दंड न्यायालय के सामने लंबित हो ।
  • अगर पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज की शर्तों में से किसी का वर्णन किया गया हो |
  • अगर पासपोर्ट के यात्रा दस्तावेज को प्राप्त करने वाले व्यक्ति को धारा 1 के तहत की सूचना का आज्ञापालन करने में विफल रहा हो जिसमें उससे वह पासपोर्ट ऐसा दस्तावेज समर्पित करने की आशा की गई हो ।
  • अगर पासपोर्ट अधिकार प्राप्त व्यक्ति का ध्यान इस ओर आकर्षित किया गया हो कि पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज के धारक की उपस्थिति के लिए कोई वारंट या सम्मन उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारंट किसी तत्समय प्रवृत प्रणाली के तहत किसी अदालत द्वारा दिया गया है । अगर पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज से प्राप्त करने वाले का भारत से बाहर जाने से रोकने का कोई आदेश ऐसे किसी अदालत द्वारा दिया जाता है,पासपोर्ट अधिकारी को पता हो जाता है कि वारंट सम्मान इस तरह दिया गया है या कोई आदेश इस तरह किया गया है ।
  • पासपोर्ट अधिकारी पासपोर्ट का अप्रभावी कर सकता है-
  • अगर पासपोर्ट अधिकारी का यह पता हो जाता है कि किसी व्यक्ति का पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज अप्रभावी करना लोकहित के भीतर आवश्यक है तो वह तुरंत धारक का पासपोर्ट अप्रभावी कर सकता है ऐसा अप्रभावी करने की समय 4 सप्ताह तक की हो सकेगी ।

अपील

इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति अगर पासपोर्ट अधिकारी के किसी आदेश से क्लेशित है तो वह इसकी अपील इस अधिनियम के तहत बनाए गए अपीलीय अधिकारी को कर सकता है, लेकिन कोई भी अपील केंद्र सरकार के आदेश की अपील नहीं हो पायेगी । अपील सिर्फ पासपोर्ट अधिकारी और उसके जूनियर पासपोर्ट अधिकारी के माध्यम से दिए गए आदेश की ही की जा सकती है । अगर वह पासपोर्ट के आवेदन पर पासपोर्ट जारी करने का आदेश नहीं देता है या फिर पासपोर्ट को जप्त कर लेता है या परिरुद्ध करता है तो इस आदेश के खिलाफ अपील की जा सकती है । अपील अधिकारी के माध्यम से दिया गया कोई भी आदेश अंतिम आदेश होगा उसकी अपील भारत के किसी अदालत में नहीं की जा सकेगी ।

सांसद / विधायक वकालत कर सकते हैं या नहीं

जुर्म एंव दंड

  • इस अधिनियम के अंदर ही कुछ जुर्म और उनके लिए दंड बनाया गया है । यह जुर्म और दंड अधिनियम को उद्देश्यवाला बनाने के लिए रखा गया है अधिनियम की धारा 12 इसका वर्णन करती है ।
  • अधिनियम की धारा 3 के संबंध के तहत अगर कोई व्यक्ति भारत से बाहर जाने के लिए बिना पासपोर्ट के जायेगा या फिर ऐसा करने का प्रयास करेगा तो वह इस अधिनियम के तहत जुर्म माना जाता है ।
  • इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज लेने के मकसद से कोई गलत जानकारी देगा या फिर किसी जानकारी को बादलवाता है और वह गलत और बनावटी जानकारी है तो यह भी इस अधिनियम के तहत जुर्म है ।
  • अगर पासपोर्ट को पासपोर्ट अधिकारी के माध्यम से निरीक्षण करने हेतु पेश करने का आदेश दिया जाता है और धारक पासपोर्ट को समक्ष नहीं करता है तो यह भी एक्ट के तहत अपराध है।
  • किसी दूसरे व्यक्ति को दिए गए पासपोर्ट को यह पता होते हुए कि वह दूसरे व्यक्ति का पासपोर्ट है और प्रयोग में लाना भी जुर्म है । पासपोर्ट अधिकारी द्वारा अपने को दिए गए पासपोर्ट को यह पता होते हुए भी कि अपनों को पासपोर्ट दिया गया है वह किसी दूसरे व्यक्ति को पासपोर्ट देगा उपयोग करने हेतु तो यह भी जुर्म है ।
  • इनमें से कोई भी जुर्म करने के फल स्वरूप आरोपी को 2 साल तक का कारावास और जुर्माने से जो ₹5000 तक का हो सकेगा दंडित किए जाने का नियम बनाया गया है ।
  • अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो भारत का रहने वाला नहीं है । अपनी राष्ट्रीयता के विषय में कोई जानकारी छुपा कर किसी पासपोर्ट के लिए आवेदन करेगा या उसे अभिप्राप्त करेगा । कोई झूठा रचित पासपोर्ट यात्रा दस्तावेज प्राप्त करेगा । उसे कम से कम 1 साल तक का कारावास और अधिक से अधिक 5 साल तक का कारावास और ₹10000 तक का जुर्माना काम से काम और अधिकतम ₹50000 तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा ।
  • इन जुर्मों का अपमान करने के लिए उतना ही दंड रखा गया है, जितना दंड अपमानित जुर्म के लिए होगा । इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियम और विनियमों का अवज्ञा करना करने के लिए भी दंड रखा गया है यदि उन नियमों के अवज्ञा करना करने के लिए कोई निर्धारित दंड नहीं है तो 3 माहीने तक का कारावास रखा जाता है ।
  • यदि कोई व्यक्ति इन जुर्मों में से कोई जुर्म दोबारा करता है तो उसे जुर्म की दंड का दुगना दंड दिया जाता है ।

गिरफ्तारी के बाद जमानत कैसे मिलती है?

इस लेख में हमने आप को पासपोर्ट अधिनियम 1967 के तहत, जानिए कौन सी समस्याओं में पासपोर्ट हो सकता है ज़ब्त इसके विषय में विस्तार से जानकारी दी है अगर आप के मन में इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न हैं तो कमेंट के द्वारा पूछ सकते हैं हम आप के द्वारा की प्रतक्रिया का आदर करेगें |

वकीलों को अपनी कार्यों का विज्ञापन देने की अनुमति क्यों नहीं है ?