कुश्ती में करियर कैसे बनाये ?

कुश्ती में करियर के अवसर  

आज के समय में कुश्ती एक करियर के रूप में युवाओं के समक्ष आ रहा है, इसमें करियर बनाने पर आप अपने देश और सम्पूर्ण विश्व  में प्रसिद्धि प्राप्त कर सकते है, इस क्षेत्र में आने के लिए आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होना अनिवार्य है, इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के पश्चात आपको सरकार द्वारा अनेक प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है, और सरकारी क्षेत्र में नौकरी प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता दी जाती है |

आधुनिक ओलंपिक में सन् 1896 में कुश्ती को सम्मिलित किया गया था, आधुनिक ओलंपिक खेलों के निर्माता कुवरतन एक सफल कुश्ती के पहलवान थे, यदि आप भी इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते है, तो इसके बारे में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |

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 पढ़ाई और खेल के बीच सामंजस्य स्थापित करना

कोच अपने यहाँ के सभी बच्चों को पढ़ाई सही से करने का निर्देश देते रहते है, जिससे उनके परीक्षा परिणाम पर इसका असर न पड़े, अधिकतर अखाड़ों में प्रैक्टिस सुबह-शाम होती है, इससे बच्चे विद्यालय का कार्य भी आसानी से कर सके, प्रतिदिन दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम में प्रैक्टिस करना चाहिए और रविवार को अवकाश होना सही रहता है, आप इस प्रकार से कुश्ती में अपने करियर की शुरुआत कर सकते है |

कुश्ती की अवधि

वर्तमान समय में कुश्ती में परिवर्तन हो रहा है, ओलंपिक खेलों में पहले कुश्ती की अवधि 15 मिनट थी, फिर 9 मिनट व 6 मिनट कर दी गई, इसके बाद इसकी अवधि 20 मिनट, 10 मिनट, 9 मिनट व 6 मिनट कर दी गई, आज के समय में एक कुश्ती की अवधि 5 मिनट है और 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए यह 4 मिनट निर्धारित की गई है, इस अवधि में यदि कुश्ती का निर्णय नहीं होता है तो उसे सडेन डैथ का अतिरिक्त समय 3 मिनट दिया जाता है |

अखाड़े की माप

1   अखाड़े का आकार  9 x 9 मीटर
2   अखाड़े का बार्डर  1.50 x 1.80 मीटर
3   निष्क्रियता क्षेत्र  1 मीटर
4   प्लेटफॉम गद्दे की ऊंचाई  1.10 मीटर
5   दंगल के कोने पर चिह्न  लाल या नीला

अंतर्राष्ट्रीय स्तर  की प्रतियोगिता में आखाड़ा अष्ट भुजाकार होता है, इसमें 9 मीटर व्यास का गोलाकार क्षेत्र होता है |

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कुश्ती की पोशाक

कुश्ती में पोशाक लाल या नीले रंग का जांघिया और एक बनियान होता है, इसके साथ एक लंगोट बांधा जाता है, खेल के समय लगने वाली चोटों से बचने के लिए जोड़ों पर पैड का प्रयोग किया जा सकता है, कोई भी खिलाड़ी किसी भी प्रतिबंधित चीज को नहीं पहन सकता है, जिससे दूसरे प्रतियोगी को चोट पहुंच सकती हो, खिलाड़ी अपने शरीर पर कोई भी ऐसा तरल पदार्थ नहीं लगा सकता है, जिससे उसका शरीर फिसलने लगे |

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कुश्ती के प्रकार

वर्तमान समय में कुश्ती की दो प्रकार से प्रचलित है |

1.फ्री स्टाइल |

2.ग्रीको-रोमन |

कुश्ती को शुरु करने का नियम

सर्वप्रथम दोनों खिलाड़ी रिंग के अंदर बिछे हुए गद्दे के बीच में आकर एक-दूसरे से हाथ मिलते है, उसके बाद रेफरी दोनों खिलाड़ी की जाँच करता है, कि कहीं खिलाड़ी नें आपत्ति जनक वस्तुएँ तो नहीं पहन रखी है, इसके बाद रेफरी दोनों खिलाडियों को रिंग के दोनों सिरों पर भेज देता है, इसके पश्चात रेफरी सीटी बजा कर कुश्ती शुरू करने का संकेत करता है |

कुश्ती में निर्णय का आधार

कुश्ती में निर्णय लेने की दो विधि है |

1.अंको के आधार पर |

2.चित करने के आधार पर |

अंक प्राप्त करने की कंडीशन  

1.विरोधी पहलवान को 5 सेकंड से कम समय में चित करना |

2.विरोधी पहलवान के नियम के विरुद्ध आचरण करने पर |

3.खिलाड़ी द्वारा दूसरी ओर लुढ़कते समय अपने कंधे व कोहनी का प्रयोग ब्रिज बना लेने पर करना |

अंक देने की कंडीशन

1.विरोधी खिलाड़ी को पाँच सेकंड से अधिक समय तक खतरनाक स्थिति में रखना |

2.यदि विरोधी लुढ़कता हुआ गिरे, चित होने के करीब हो और ब्रिज बनाकर बचे |

नियम के विरुद्ध खिलाड़ी का आचरण 

1.विरोधी खिलाड़ी के पांव पर चढ़ना |

2.विरोधी खिलाड़ी के मुंह व भौंहों के बीच के हिस्से को छूना |

3.गला दबाना |

4.गद्दे के किनारे पकड़ना |

5.पोशाक खींचना, गुप्तांगों पर प्रहार करना,बालों को खीचना, हाथो द्वारा पांवो की उंगली मरोड़ना, ऐसा दांव लगाना, जिससे मृत्यु या किसी अंग के टूटनें की संभावना हो, विरोधी के बाजू को नब्बे डिग्री से अधिक मोड़ना, शरीर पर टांगों की कैंची लगाना, ब्रिज तोड़ने के लिए सिर की ओर ताकत लगाना और पांव अटकाकर विरोधी को गिरना |

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ग्रीको-रोमन प्रकार में कुश्ती

इस प्रकार की कुश्ती में इन बातों पर प्रतिबन्ध है |

1.विरोधी खिलाड़ी की टांगों को पकड़ना|

2.विरोधी को दोनों टांगों से पकड़ने, धकेलने, उठने या दांव लगाने के लिए अपनी टांगों का प्रयोग उस समय करना जब विरोधी खिलाड़ी के शरीर को स्पर्श कर रहा हो |

प्रतियोगिता के समय कॉशन का प्रयोग

कुश्ती की प्रतियोगिता में कॉशन शब्द का प्रयोग होता है, इसके माध्यम से खिलाड़ी को चेतावनी देने के उपरांत गलती करने पर कॉशन दिया जाता है, कॉशन के संकेत के लिए रेफरी अपने हाथ को ऊपर उठाता है, चार कॉशन मिलने पर पहलवान को पराजित मान लिया जाता है, कॉशन देने के कारण इस प्रकार है |

1.किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता पर |

2.नियम के विरुद्ध आचरण करने पर |

3.चेतावनी के बाद भी रेफरी की बात पर ध्यान न देना |

4.जज या मैट से बहस करने पर |

रेफरी का कार्य

रेफरी निर्णायक मंडल का एक अंग होता है, सबसे पहले रेफरी ही निर्णय लेता है, रेफरी द्वारा लिए गए निर्णय को जज द्वारा जांचा जाता है, यदि जज को रेफरी का निर्णय सही लगता है, तो जज बैटन उठाकर इसका संकेत करता है और प्रतियोगिता में खिलाड़ी को अंक प्रदान करता है |

भारत के प्रसिद्ध अखाड़े इस प्रकार है |

1.चंदगीराम अखाड़ा

फीस: कुछ नहीं |

पता: चंदगीराम अखाड़ा, सिविल लाइंस, नई दिल्ली |

2.हनुमान अखाड़ा

कोच: यहां पिछले 32 साल से महासिंह राव ही अकेले और मुख्य कोच हैं |

फीस: कुछ नहीं |

पता: गुरु हनुमान अखाड़ा, हनुमान रोड, शक्ति नगर, दिल्ली-7 |

3.छत्रसाल स्टेडियम अखाड़ा

कोच: इस अखाड़े में दिल्ली सरकार के खेल विभाग की ओर से चार कोच का चयन किया गया है, यशवीर सिंह, वीरेंद्र कुमार, ललित और अजीत मान यह सभी पहलवान तैयार करते हैं, सभी कोच नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एनआईएस) से डिप्लोमाधारी हैं |

फीस: कुछ नहीं |

पता: छत्रसाल स्टेडियम, मॉडल टाउन, दिल्ली-9 |

4.कैप्टन चांदरूप अखाड़ा

कोच: यहां मुख्य कोच कैप्टन चांदरूप हैं |

फीस: कुछ नहीं |

पता: कैप्टन, चांदरूप अखाड़ा, आजादपुर सब्जी मंडी, दिल्ली |

5.लखनऊ के प्रसिद्ध अखाड़े |

1.गणेशगंज में स्व. गिरधारी लाल अखाड़ा |

2.कैसरबाग में अखाड़ा |

3.बालागंज में अखाड़ा |

4.कैंट स्थित सदर बाजार में आदर्श व्यायामशाला |

5.सरोजनीनगर स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) सेंटर |

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